सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल मामले में एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश तक ट्रायल कोर्ट को किसी भी तरह की कार्रवाई करने से रोक दिया है। यह निर्देश तब आया जब इस मामले में याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि ट्रायल कोर्ट में हो रही कार्रवाई पर रोक लगाई जाए क्योंकि मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है। दरअसल मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर कर मस्जिद का सर्वे कराने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। इस पर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि वह उच्च न्यायालय क्यों नहीं गए। पीठ ने कहा कि यह मामला उचित मंच पर उठाया जाना चाहिए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कुछ अहम निर्देश दिए, जिनके मुताबिक निचली अदालत को इस मामले पर सुनवाई करने से रोक दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत के फैसले से उन्हें कुछ आपत्तियां हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय द्वारा किए जाने का निर्देश दिया है। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने उच्च न्यायालय से याचिका दायर होने के बाद तीन दिनों में याचिका पर सुनवाई करने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि निचली अदालत के आदेश के बाद एडवोकेट कमिश्नर द्वारा संभल जामा मस्जिद का सर्वे किया गया। इस सर्वे के दौरान ही बीते दिनों संभल में हिंसा भड़की, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हालात को देखते हुए एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने और जारी न करने का भी निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश प्रशासन को हिदायत दी है कि शांति और सद्भाव का माहौल कायम रखा जाए। यह निर्देश भारतीय न्याय प्रणाली में उच्च और निचली अदालतों के अधिकार क्षेत्र और उनके बीच समन्वय का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला यह सुनिश्चित करता है कि जब तक हाईकोर्ट इस मामले में अपना अंतिम निर्णय नहीं देता, तब तक ट्रायल कोर्ट किसी भी तरह की कार्रवाई से दूर रहे।