Home राष्ट्रीय 2018 की तुलना में 2024, कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाए बिलकुल समाप्त

2018 की तुलना में 2024, कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाए बिलकुल समाप्त

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2024 compared to 2018: End of stone pelting in Kashmir

कश्मीर कि घाटी में उग्रवाद और पत्थरबाजी की घटनाओं में बड़े बदलाव को लेकर हाल के वर्षों में एक दिलचस्प रिपोर्ट सामने आई है। आपको बता दें कि अशांति शामिल थीं। लेकिन साल 2019 में जब भारतीय सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया, तब से कश्मीर कि स्थिति में सुधार हुआ है। 2024 तक की रिपोर्ट के मुताबिक, इस क्षेत्र में पत्थरबाजी की घटनाएं लगभग ख़त्म हो गईं और घाटी में शांति का माहौल बना हुआ है। 2018 में पत्थरबाजी केवल एक विरोध का तरीका नहीं रही थी, बल्कि यह राजनीतिक असंतोष, सुरक्षा बलों के खिलाफ स्थानीय प्रतिरोध और बाहरी तत्वों द्वारा कश्मीरी युवाओं को उकसाने का एक साधन बन गई थी। लेकिन 5 अगस्त 2019 को जब भारतीय सरकार ने जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त किया और इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किया, तो इसके साथ ही राज्य की विशेष स्थिति को समाप्त कर दिया गया। इस फैसले ने कश्मीर घाटी में व्यापक प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कीं, लेकिन इसके साथ ही इसने कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में भी एक सकारात्मक बदलाव लाया। केंद्रीय सरकार के द्वारा क्षेत्र में सुरक्षा बलों की तैनाती को बढ़ाया गया, और राज्य के भीतर विकास कार्यों की शुरुआत हुई, जिससे स्थानीय लोगों के बीच निराशा कम हुई और उग्रवाद में कमी आई। 2024 तक, जम्मू और कश्मीर में न केवल पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई, बल्कि सुरक्षा बलों और स्थानीय नागरिकों के बीच तनाव भी घटा। कश्मीर में आम लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है, और अधिकतर लोग विकास कार्यों के पक्ष में खड़े नजर आते हैं। जम्मू और कश्मीर में रोजगार के अवसर बढ़े, और पर्यटन में भी आशातीत वृद्धि हुई। साथ ही, इंटरनेट और संचार सेवाओं में सुधार हुआ है। अब 2024 में, कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की घटनाएं लगभग न के बराबर हो गई हैं। यहां तक कि वे इलाके, जो पहले उग्रवाद और अस्थिरता के केंद्र माने जाते थे, अब शांति और विकास की मिसाल बन चुके हैं। हालांकि अभी भी कुछ चुनौतियाँ बाकी हैं, लेकिन कश्मीर में सामान्य जीवन की बहाली एक महत्वपूर्ण संकेत है कि समय के साथ कश्मीर में स्थिति बेहतर हो सकती है। 2018 में जम्मू और कश्मीर में लगभग 2100 बार पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आई थीं, जिनमें सुरक्षा बलों पर हमले, सड़क विरोध और अन्य नागरिक।

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