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जातिगत जनगणना पर सियासत: तेजस्वी यादव 85% आरक्षण की मांग पर अड़े, सीएम नीतीश को लिखा पत्र

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Politics on caste census: Tejashwi Yadav adamant on the demand for 85% reservation, wrote a letter to CM Nitish

पटना : नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार में आरक्षण की सीमा अड़ाने की जिद पर अड़ गए हैं। इसको लेकर तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार को पत्र भी लिखा है। सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव ने इस पत्र को शेयर करते हुए लिखा कि मैंने महागठबंधन सरकार में बढ़ाई गई 65% आरक्षण सीमा को अपनी ही सरकार में संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल कराने में घोर विफल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी को पत्र लिखा है। बाक़ी हमें जो करना है वो हम करेंगे। तेजस्वी ने मांग की है कि सर्वदलीय समिति का गठन करते हुए बिहार विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र आहूत की जाए, जिसमें कुल 85 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करते हुए विधेयक पारित करा उसे 9वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को तीन सप्ताह के अंदर भेजने की कृपा की जाए। ऐसा नहीं होने की स्थिति में राज्य के 90 प्रतिशत दलित-आदिवासी, पिछड़े-अति पिछड़े एवं सदियों से दबे-कुचले लोगों के हित में हमारे द्वारा राज्य भर में एक व्यापक जन-आन्दोलन की शुरूआत की जाएगी। आइए जानते हैं तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र में क्या क्या लिखा, तेजस्वी यादव ने लिखा कि विपक्ष में रहते एवं अगस्त 2022 में सरकार में आने के बाद हमारे अथक प्रयासों से महागठबंधन सरकार द्वारा वर्ष 2023 में बिहार में जाति आधारित गणना का कार्य पूर्ण कराया गया था।

गणना उपरान्त राज्य की विभिन्न जातियों की जनसंख्या एवं उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर विधेयक पारित करा कर राज्य के पिछड़े, अति पिछड़े, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की सीमा 65 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था। फलस्वरूप बिहार में सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन हेतु कुल 75 प्रतिशत आरक्षण सीमा निर्धारित की गयी थी। दलित-आदिवासी, पिछड़े अति पिछड़े के साथ-साथ आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों को महागठबंधन सरकार के इस ऐतिहासिक निर्णय से बढ़े हुए आरक्षण का लाभ दिलाना सुनिश्चित हुआ था। इस कानून को माननीय उच्च न्यायालय, पटना द्वारा यह कहकर रद्द किया गया कि राज्य की सरकारी नौकरियों एवं अध्ययन संस्थानों के नामांकन हेतु इन जातियों के लोगों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व का अध्ययन नहीं करा कर आरक्षण सीमा को बढ़ाया गया है।

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तेजस्वी यादव ने लिखा कि सर्वदलीय समिति द्वारा किए गए अध्ययन के आलोक में बिहार विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाकर एक नया आरक्षण विधेयक पारित करा कुल 85 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान कर इसे 9वीं अनुसूची में डालने की अनुसंशा केन्द्र सरकार से की जाए ताकि आरक्षण विरोधी तत्वों एवं भाजपाई सरकार को इसे भी विभिन्न माध्यमों से पुनः रद्द कराने का मौका न मिल सके। नेता प्रतिपक्ष ने पूछा कि क्या भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस की नीतियों पर चल रही यह एनडीए सरकार नहीं चाहती कि वंचित वर्गों के आरक्षण की वर्तमान सीमा को बढ़ाकर 85 प्रतिशत किया जाए जिससे कि राज्य के दलित-आदिवासी, पिछड़ा अति पिछड़ा एवं अन्य दबे-कुचले लोगों को बढ़े हुए आरक्षण का यथाशीघ्र लाभ मिले तथा उन्हें शिक्षण संस्थानों में नामांकन के साथ-साथ सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल सके। तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि आप और आपकी सरकार जान-बूझकर इस मामले को लटका और भटका रही है। आपको मालूम है कि 17 महीनों की महागठबंधन सरकार के दौरान लाखों नौकरियां दी गई तथा लगभग 3,50,000 नौकरियां प्रक्रियाधीन की गयी।



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