कुंभ मेला हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, लेकिन इस बार एक दिल छूने वाली घटना ने सभी का ध्यान खींचा है। यह घटना परिवारों के पुनर्मिलन की एक जिंदा मिसाल बनकर सामने आई है। भूली के श्याम नगर के निवासी मुरली यादव को 27 साल बाद अपने बड़े भाई गंगासागर यादव से कुंभ मेला में मुलाकात हुई। यह मुलाकात किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी, जिसमें इतने वर्षों बाद परिवार को अपनों का मिलन हुआ।
मुरली यादव के बड़े भाई गंगासागर यादव 27 साल पहले घर छोड़कर चले गए थे, और तब से उनका परिवार उनकी तलाश में जुटा हुआ था। गंगासागर के घर छोड़ने के बाद से उनके परिवार ने कभी हार नहीं मानी और उनका पता लगाने के लिए हर संभव प्रयास किया। एक समय तो ऐसा भी आया था जब गंगासागर यादव के बारे में यह खबर आई कि उनका एक दुर्घटना में निधन हो गया है, लेकिन बाद में यह जानकारी गलत साबित हुई। गंगासागर यादव के परिवार ने उनकी तलाश जारी रखी, और कुंभ मेला में एक सदस्य के जरिए उनके बारे में जानकारी मिली, जिसके बाद पूरा परिवार वहां पहुंचा।
जब मुरली यादव और उनकी मां धनवा देवी ने गंगासागर यादव को देखा, तो उनका दिल खुशी से भर गया। धनवा देवी ने दावा किया कि उनके पति गंगासागर ही हैं, क्योंकि उन्होंने अपने पति को पहचानने के लिए कई निशान बताए, जैसे उनके शरीर पर एक गहरा जख्म और टूटे हुए हाथ के निशान। वे अपने पति को घर वापस लाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन गंगासागर यादव, जो अब बाबा राजकुमार अघोरी के नाम से एक साधु बन चुके हैं, घर लौटने को तैयार नहीं हैं। वे अपने नए जीवन में बहुत खुश हैं और घर जाने के लिए मन नहीं बना रहे।
गंगासागर यादव के बेटे, जो अब बड़े हो चुके हैं, अपने पिता से घर लौटने की अपील करते रहे। वह बताते हैं कि वह जब सिर्फ दो साल के थे, तब उनके पिता घर छोड़कर गए थे। अब वे अपने पिता से बार-बार कह रहे हैं कि घर लौट चलें। लेकिन बाबा राजकुमार अघोरी अपनी पहचान को लेकर पूरी तरह से उलझन में हैं और किसी बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं।
इस बीच, मुरली यादव और उनका परिवार बाबा राजकुमार अघोरी को घर वापस लाने के लिए समझाने की कोशिश कर रहे हैं। परिवार के कई सदस्य कुंभ मेला में ही बने हैं, जबकि कुछ अन्य वापस भूली लौट गए हैं। मुरली यादव को उम्मीद है कि उनका भाई आखिरकार घर लौटेगा और परिवार के साथ फिर से जुड़ जाएगा। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और परिवार का दावा है कि उनका बड़ा भाई गंगासागर यादव ही वही व्यक्ति हैं, जो अब बाबा के रूप में साधु बन चुके हैं।
यह घटना एक उदाहरण है कि कभी-कभी जीवन में इतने सालों बाद भी परिवारों के बीच टूटे रिश्ते फिर से जुड़ सकते हैं, अगर उनमें एक-दूसरे के प्रति प्यार और उम्मीद कायम रहे।