तेलंगाना के श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना में शनिवार को निर्माणाधीन खंड की छत का एक हिस्सा ढह जाने से आठ श्रमिक सुरंग में करीब 14 किलोमीटर अंदर फंस गए हैं। इनमें से कई श्रमिक झारखंड के हैं। घटना के बाद बचाव दल ने तेजी से राहत कार्य शुरू किया है, और अब तक वे उस स्थान के करीब पहुंच चुके हैं, जहां सुरंग खोदने वाली मशीन (टीबीएम) काम कर रही थी। तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले के कलेक्टर बी. संतोष ने बताया कि बचाव दल के कर्मी उस स्थान पर पहुंच चुके हैं, लेकिन गाद और जलभराव के कारण आगे बढ़ना एक बड़ी चुनौती बन गई है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की चार टीमें, सेना के कर्मी, और एसडीआरएफ के जवान मलबा हटाने और फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए काम कर रहे हैं। इसके साथ ही जल निकासी और गाद निकालने का काम भी चल रहा है। बचाव दल को सुरंग में पानी के जलभराव के कारण काफी कठिनाई हो रही है। एनडीआरएफ के एक अधिकारी ने बताया कि सुरंग के अंदर मलबा और जलभराव के कारण बचाव उपकरणों को अंतिम बिंदु तक पहुंचाने में कठिनाई हो रही है। अतिरिक्त मोटरों का इस्तेमाल पानी निकालने के लिए किया जा रहा है, ताकि बचाव कार्य को तेज किया जा सके। अब तक बचाव दल को फंसे हुए श्रमिकों से कोई संपर्क नहीं हो पाया है। कलेक्टर संतोष ने कहा कि टीम ने 13.5 किलोमीटर तक पहुंचने के बाद फंसे हुए श्रमिकों को पुकारा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। अब टीम को 200 मीटर और आगे बढ़ने की जरूरत है, ताकि वे पूरी तरह से स्थिति का आकलन कर सकें। झारखंड के मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने इस हादसे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह तेलंगाना के अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं और स्थिति पर नजर रख रहे हैं। उन्होंने बताया कि झारखंड के चार से पांच मजदूर सुरंग में फंसे हुए हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से भी इस मामले पर बात की है। बचाव कार्य की टीम लगातार कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए प्रयासरत है। हालांकि, सुरंग के अंदर की स्थिति बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण है, लेकिन सभी कर्मी अपनी पूरी ताकत से काम कर रहे हैं। तेलंगाना और झारखंड सरकारें इस हादसे पर पूरी तरह से निगरानी बनाए हुए हैं और सभी प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता देने का प्रयास कर रही हैं।