Home झारखण्ड झारखंड बजट सत्र: भाजपा नेता प्रतिपक्ष पर असमंजस, बिना विपक्ष के होगा...

झारखंड बजट सत्र: भाजपा नेता प्रतिपक्ष पर असमंजस, बिना विपक्ष के होगा बजट पेश

26
0
Jharkhand budget session: Confusion over BJP leader opposition

वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर कल (3 मार्च 2025) को राज्य का बजट पेश करेंगे, लेकिन इस बार राज्य की विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के बिना बजट पेश किया जाएगा, जो खुद में एक बड़ी विडंबना बन चुका है। विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा ने कई बैठकें कीं, लेकिन अब तक नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं हो पाया है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के अंदर इस मामले में कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया जा सका है। खबर है कि अप्रैल तक भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन किया जाएगा, और उसके बाद ही नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा हो सकती है। इस कारण राज्य के राजनीतिक गलियारों में बयानबाजी का दौर तेज हो गया है। विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने इस पर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा है कि विधानसभा की कार्यवाही में नेता प्रतिपक्ष का भी अहम योगदान रहता है, और संवैधानिक रूप से भी उनका होना अनिवार्य है। झारखंड भाजपा में नेता प्रतिपक्ष के लिए कई वरिष्ठ नेताओं के नामों की चर्चा हो रही है। पार्टी के अंदर की चर्चाओं के अनुसार, सबसे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता और रांची विधायक सीपी सिंह का नाम प्रमुख रूप से सामने आ रहा है। सीपी सिंह के पास विधानसभा में मंत्री, स्पीकर और विधायक के रूप में कई वर्षों का अनुभव है, और उन्हें पार्टी की कर्मठता और निष्ठा के कारण नेता प्रतिपक्ष के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा, यदि भाजपा महिला नेता को नेता प्रतिपक्ष बनाएगी, तो नीरा यादव का नाम सबसे आगे है। नीरा यादव कोडरमा विधानसभा से विधायक हैं, और उनकी राजनीतिक स्थिति और पार्टी में उनकी भूमिका को देखते हुए उन्हें यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। एक और नाम जो चर्चा में है, वह है ओबीसी समाज से आने वाले नवीन जायसवाल का। नवीन जायसवाल ने हटिया विधानसभा से जीत हासिल की है और ओबीसी समाज का समर्थन भाजपा को दिलाने में उनकी अहम भूमिका रही है। उनकी स्थिति और पार्टी के प्रति वफादारी को देखते हुए माना जा रहा है कि भाजपा इनके नाम पर भी विचार कर सकती है। नेता प्रतिपक्ष की भूमिका विधानसभा में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। विधानसभा की कार्यवाही को सही ढंग से चलाने के लिए नेता प्रतिपक्ष का योगदान अनिवार्य होता है। उनका अस्तित्व और भागीदारी न केवल विपक्ष की स्थिति को मजबूत बनाती है, बल्कि सरकार को भी एक मजबूत चुनौती देती है। इस समय, जब बजट सत्र बिना नेता प्रतिपक्ष के चल रहा है, तो यह एक संवैधानिक चुनौती भी बन गया है। विधानसभा में बिना नेता प्रतिपक्ष के बजट पेश करना भाजपा के लिए एक बड़ी राजनीतिक असफलता का संकेत हो सकता है। इस समय जबकि भाजपा के नेता इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं, पार्टी के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है कि अगर समय रहते यह निर्णय नहीं लिया गया, तो इसका असर पार्टी की छवि पर भी पड़ सकता है।

GNSU Admission Open 2025