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झारखंड की राजनीति में बड़ा उलटफेर, कल्पना सोरेन ने BJP को दिया कड़ा संदेश

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Kalpana Soren gave a strong message to BJP

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन हाल ही में तब चर्चा में आईं, जब उन्होंने हेमंत की गिरफ्तारी के बाद राज्य की राजनीति में प्रभावी भूमिका निभाई। उनके द्वारा उठाये गये कुछ कदम ऐसे थे, जिसने भाजपा की रणनीति को कमजोर किया। आइए जानते हैं वे 5 प्रमुख दांव जो चर्चा का विषय बने और भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुए। कल्पना सोरेन ने पति हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को आदिवासियों के शोषण से जोड़ दिया
कल्पना सोरेन ने इसे आदिवासियों के स्वाभिमान का मुद्दा बना दिया
कल्पना ने इमोशनल कार्ड खेलते हुए जोरदार प्रचार अभियान चलाया
कल्पना के भाषण में आदिवासी महिलाओं का मुद्दा भी खूब रंग पकड़ा।
कल्पना सोरेन ने अधिकांश समय योजनाओं को गिनवाया


इन दांवों के माध्यम से, कल्पना सोरेन ने यह संदेश दिया कि झारखंड में राजनीति केवल सत्ता की नहीं, बल्कि जनता की भागीदारी और उनके अधिकारों की लड़ाई है। इससे भाजपा को रणनीतिक मोर्चे पर सोचने पर मजबूर होना पड़ा। भारतीय जनता पार्टी के पास एक संगठित महिला मोर्चा है। इसमें 15 के करीब प्रदेश पदाधिकारी और 100 के करीब कार्यसमिति सदस्य हैं। कहने को तो यह पार्टी का मुख्य मोर्चा है, लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान महिला मोर्चा की सक्रिय भाजपा ने महिला मतदाताओं से कनेक्ट के लिए गोगो दीदी योजना के तहत प्रतिमाह 2100 रुपये देने का वादा किया। इसके लिए महिलाओं से फार्म भी भरवाए गए, लेकिन महिला मोर्चा इस काम में भी दर्शक ही बना रहा। प्रदेश महिला मोर्चा के सूत्रों के मुताबिक गोगो दीदी योजना के प्रचार प्रसार के लिए महिला मोर्चा को प्रति विधानसभा 1 लाख यानि कुल 81 लाख की राशि मिली। लेकिन कुछ चंद पदाधिकारियों के अलावा इसके बारे में शायद ही किसी को जानकारी हो कि यह खर्च कहां हुए। इसके बावजूद महिला मोर्चा की कार्यकर्ता अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र में जाकर प्रचार करती रहीं। महिला मोर्चा की कार्यकर्ता का दर्द है कि उपर की पदाधिकारी साड़ियां गिफ्ट में लेने में लगीं रहीं, जबकि कल्पना सोरेन ने यह संदेश दिया कि झारखंड में राजनीति केवल सत्ता की नहीं, बल्कि जनता की भागीदारी और उनके अधिकारों की लड़ाई है। इससे भाजपा को रणनीतिक मोर्चे पर सोचने पर मजबूर होना पड़ा। कल्पना सोरेन ने बिना आधिकारिक पद संभाले, अपनी उपस्थिति और कार्यों से झारखंड की राजनीति में अहम प्रभाव डाला। उनके इन कदमों ने न केवल भाजपा की रणनीतियों को चुनौती दी, बल्कि झारखंड की जनता के बीच हेमंत सोरेन सरकार की छवि को भी मजबूत किया।

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