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बिहार में साइबर क्राइम का बढ़ता खतरा: एक साल में 1.20 लाख लोग हुए ठगी का शिकार

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Increasing threat of cyber crime in Bihar: 1.20 lakh people became victims of fraud in one year

बिहार में साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक साल में 1.20 लाख लोग साइबर फ्रॉड का शिकार बने हैं. लगभग हर मोबाइल फोन पर फ्रॉड कॉल्स आ रही हैं. पिछले साल के दौरान 6,30,112 उपभोक्ताओं को फ्रॉड कॉल्स मिलीं, जिनमें से 1.20 लाख लोग ठगी का शिकार हुए। इनसे 30 हजार से 1 लाख रुपये तक की धोखाधड़ी हुई.

फ्रॉड कॉल्स से परेशान उपभोक्ताओं की शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए 5,09,685 मोबाइल नंबर ब्लॉक किए गए। यह शिकायतें संचार विभाग के “चक्षु” एप पर दर्ज की जाती हैं. शिकायत के बाद संबंधित नंबर ट्रेस कर ब्लॉक किया जाता है. अगर किसी सिम का इस्तेमाल अलग-अलग हैंडसेट में होता है, तो उन सभी हैंडसेट्स को भी ब्लॉक कर दिया जाता है.

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चक्षु एप पर हर दिन 300 से 400 फ्रॉड कॉल्स की शिकायतें आती हैं. इनमें से 90 से 100 मामले ठगी के होते हैं. ठगी की कॉल्स कभी बैंक के नाम पर तो कभी पुलिस के नाम पर की जाती हैं. घबराए उपभोक्ता ओटीपी या अन्य व्यक्तिगत जानकारी साझा कर देते हैं. जब तक उन्हें ठगी का एहसास होता है, तब तक उनके खातों से पैसे निकाले जा चुके होते हैं.

संचार विभाग के उप महानिदेशक सूर्य प्रकाश का कहना है कि हर दिन फ्रॉड कॉल्स की शिकायतें मिलती हैं. शिकायत दर्ज होते ही नंबर और हैंडसेट ब्लॉक कर दिए जाते हैं. कई बार जांच में पाया गया कि एक व्यक्ति के नाम पर कई सिम होते हैं. ऐसे मामलों में व्यक्ति से संपर्क कर सिम ब्लॉक की प्रक्रिया पूरी की जाती है.

पिछले एक साल में बिहार में 34,000 ऐसे लोग ट्रेस हुए जो एक साथ कई सिम का इस्तेमाल कर रहे थे. बिहार पुलिस के साइबर सेल और संचार विभाग ने मिलकर इन अपराधों को रोकने की कोशिश की है, लेकिन साइबर क्राइम की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

साइबर क्राइम से बचने के लिए लोगों को सतर्क रहना जरूरी है. किसी भी कॉल पर ओटीपी या व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें और धोखाधड़ी की आशंका होने पर तुरंत संबंधित विभाग को सूचित करें.

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