सासाराम/ मातृ मृत्यु एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर शुक्रवार को सदर अस्पताल के एमसीएच बिल्डिंग में उच्च रक्तचाप को लेकर जिला स्तरीय एएनएम एवं जीएनएम को प्रशिक्षण प्रदान की गई है। प्रशिक्षण में आई सभी प्रतिभागियों के साथ एक मॉड्यूल भी साझा किया गया जिसको पिरामल स्वास्थ्य के राज्य टीम के द्वारा बनाया गया है। इस ट्रेनिंग के माध्यम से गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप को सही समय पर पता करके उसका उपचार के बारे में विस्तृत से जानकारी दी गई ताकि गर्भवती को इक्लैंपशिया से बचाया जा सके। इक्लैंपशिया जिसे आम भाषा में चमकी भी कहते हैं। उच्च रक्तचाप या इक्लैंपशिया का सही समय और सही उपचार मिलने से मातृ मृत्यु दर को काम किया जा सकता है। और प्रीट्रम डिलीवरी, प्रीमेच्योर डिलीवरी नवजात मृत्यु दर को कम किया जा सकता हैं। जिसके लिए जरूरी है की अस्पतालों में, आंगनबाड़ी केंद्रों में, टीकाकरण केंद्रों में या जहां भी गर्भवती महिला की जांच हो रही है यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि 20 सप्ताह के बाद उसका बीपी मॉनिटर हो और उसके प्रोटीन यूरिया (पेशाब में प्रोटीन की मात्रा ) की जांच किया जाए ताकि खतरों को सही समय पर पहचान कर सही समय पर उपचार करके सुरक्षित प्रसव कराया जा सके। प्रशिक्षण प्रदान कर रही पिरामल स्वास्थ्य की प्रतिनिधि रोजबिन नायक ने बताया कि आज कल गर्भवती महिलाओं में उक्त रक्तचाप काफी देखा जा रहा ही। यह समस्या प्रसव के दौरान काफी जटिल हो जाता है। इसी की रोकथाम के लिए यह प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। मौके पर पिरामल स्वास्थ्य के गांधीफेलो शुभम मौजूद थे।