देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सीवान के सपूत शहीद रामबाबू का पार्थिव शरीर मंगलवार को उनके पैतृक गांव वसिलपुर (थाना क्षेत्र तरवारा) पहुंचा। जैसे ही उनका शव गांव पहुंचा, पूरा इलाका ‘शहीद रामबाबू अमर रहें’ और ‘भारत माता की जय’ के नारों से गूंज उठा। इस दौरान हर आंख नम थी और हर चेहरा गर्व व दुःख से भरा हुआ। गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। रामबाबू की शहादत की खबर के बाद से गांव में पिछले तीन दिनों से किसी घर में चूल्हा नहीं जला। उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। देशभक्ति से लबरेज माहौल और शोक की गहराई ने हर किसी को भावविभोर कर दिया। शहीद रामबाबू भारत के महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रणाली S-400 डिफेंस सिस्टम की तैनाती पर तैनात थे। नौ मई को पाकिस्तान की ओर से हुए हमले में वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। तीन दिन तक जीवन और मृत्यु से संघर्ष करते हुए अंततः 12 मई को उन्होंने अंतिम सांस ली। इलाज के दौरान ही उन्होंने मातृभूमि पर न्योछावर होते हुए वीरगति प्राप्त की।
शहीद के पार्थिव शरीर को विशेष विमान से पटना एयरपोर्ट लाया गया, जहां बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद सड़क मार्ग से शव को सीवान के उनके गांव लाया गया। गांव पहुंचने पर शोकाकुल दृश्य देखने को मिला। शहीद की पत्नी, जिनकी शादी महज तीन महीने पहले हुई थी, सदमे में बार-बार बेहोश होती रहीं। बूढ़े माता-पिता की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उनके परिवार को संभालना मुश्किल हो रहा था। सेना के जवानों ने शहीद रामबाबू को अंतिम सलामी दी। पार्थिव शरीर को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया। हजारों लोग जनसैलाब बनकर अंतिम यात्रा में शामिल हुए। शहीद के सम्मान में लोगों ने तिरंगा लहराया और पूरे रास्ते शहीद रामबाबू अमर रहें के नारों से आसमान गूंजता रहा। शहीद रामबाबू की शहादत ने सीवान को गौरवान्वित तो किया ही, साथ ही पूरे देश को झकझोर दिया। उनके त्याग और समर्पण को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। आज उनका गांव वसिलपुर, वीरता और बलिदान की मिसाल बन गया है।