बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने आज पटना के वीरचंद्र पटेल मार्ग स्थित राजद कार्यालय के सामने एकदिवसीय प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत कई वरीय नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए। प्रदर्शन के दौरान तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए सरकार पर तीखा हमला बोला और कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बात रखी।
तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन सरकार ने बिहार में 65 प्रतिशत आरक्षण लागू किया था, जिसका उद्देश्य शोषित और वंचित समाज के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में समान अवसर प्रदान करना था। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार ने अपने 17 महीने के कार्यकाल में जातीय आधारित गणना करवाई थी, जिससे आरक्षण बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए थे।
तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि उनकी सरकार के दौरान आरंभ हुई भर्ती प्रक्रिया के परिणामस्वरूप ही अब नियुक्ति पत्र बांटे जा रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरते हुए कहा कि 2020 में जब मुख्यमंत्री ने सरकारी नौकरियों को असंभव बताया था, तब राजद ने उस असंभव को संभव कर दिखाया। उन्होंने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार ने पिछड़े और अति पिछड़े समाज के लोगों को सरकारी नौकरियों से वंचित किया है।
राजद नेता ने दावा किया कि वर्तमान में वितरित किए जा रहे 51,000 नियुक्ति पत्रों में से 8,222 नौकरियों का नुकसान पिछड़े और अति पिछड़े समाज को हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि आरक्षण की व्यवस्था बरकरार रहती, तो ये नौकरियां इन वर्गों को मिल सकती थीं।
तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि वर्तमान सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर प्रभावी ढंग से अपनी बात नहीं रख रही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि उनकी पार्टी इस मुद्दे को लेकर संघर्ष जारी रखेगी और सुप्रीम कोर्ट में भी अपनी आवाज बुलंद करेगी।
तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्तमान सरकार आरक्षण विरोधी, लोकतंत्र विरोधी और भाईचारे विरोधी है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने के लिए काम कर रहे हैं और जनता की परेशानियों की उन्हें कोई परवाह नहीं है।
तेजस्वी यादव ने मांग की कि महागठबंधन सरकार के दौरान तैयार किया गया जातीय आधारित गणना का मॉडल पूरे देश में लागू किया जाए, ताकि सभी वर्गों को उनका उचित हक मिल सके।