नालंदा जिले के लहेरी थाना क्षेत्र में पुलिस पर एक शराबी से बर्बरता से मारपीट करने का आरोप लगा है। मामला बड़ी पहाड़ी निवासी विनोद राम से जुड़ा है, जिन्हें सोमवार को पुलिस ने शराब के नशे में गिरफ्तार किया था। परिजनों का आरोप है कि थाने में पुलिस ने उनके साथ जमकर मारपीट की, जिससे उन्हें अंदरूनी गंभीर चोटें आईं। इस घटना के बाद बिना परिजनों को सूचित किए पुलिस ने उन्हें पहले सदर अस्पताल और फिर पावापुरी मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा दिया। जब परिजनों को इसकी जानकारी मिली तो वे अस्पताल पहुंचे और उन्होंने विनोद राम की हालत को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए। विनोद राम पेशे से शादी-विवाह में खाना बनाने का काम करते हैं। उनके परिवार वालों का कहना है कि विनोद पूरी तरह स्वस्थ थे और उन्हें कोई बीमारी नहीं थी। परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मारपीट के कारण उनकी मौत हो चुकी है, फिर भी उन्हें जबरन ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने पहले विनोद राम को हिरासत में लिया, फिर बुरी तरह पीटा और जब उनकी हालत बिगड़ गई, तो अस्पताल में छोड़कर चुपचाप निकल गई। जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को पुलिस खुद विनोद राम के घर आई और उनका आधार कार्ड ले गई। इसके बाद परिजनों को सूचना दी गई कि विनोद राम पावापुरी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं और उनकी देखभाल के लिए घर से किसी एक सदस्य को भेज दिया जाए। वहीं, इस पूरे मामले में लहेरी थाना अध्यक्ष रंजीत कुमार रजक ने मारपीट के आरोपों को पूरी तरह खारिज किया। उन्होंने बताया कि विनोद राम शराब के नशे में थाने आया था, जिसके बाद उसका मेडिकल टेस्ट कराया गया और फिर उसे न्यायालय को सुपुर्द कर दिया गया। थाना अध्यक्ष के अनुसार, कोर्ट में पेशी के दौरान विनोद राम को अचानक पेट दर्द की शिकायत हुई, जिसके बाद उसे बिहार शरीफ सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां से डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए पावापुरी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। अब उनकी हालत गंभीर होने के कारण पीएमसीएच रेफर किया गया है, लेकिन परिजन उन्हें हायर सेंटर नहीं ले जा रहे हैं। इस मामले को लेकर पुलिस और परिजनों के बयान में बड़ा अंतर दिख रहा है। जहां परिजन इसे पुलिस की बर्बरता का नतीजा बता रहे हैं, वहीं पुलिस इसे मेडिकल इमरजेंसी से जुड़ा मामला बता रही है। फिलहाल विनोद राम की हालत को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। परिजनों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। वहीं, पुलिस प्रशासन अपनी सफाई में लगातार यह दावा कर रहा है कि किसी भी तरह की मारपीट नहीं की गई।