पटना: बिहार में रेलवे नेटवर्क को सशक्त बनाने के साथ ही यहां के पर्यटन और सामाजिक महत्व के स्थानों को जोड़ने की पहल की गई है। इसे लेकर राज्य सरकार ने रेलवे बोर्ड को छह अहम प्रस्ताव भेजे हैं। ये प्रस्ताव शहरों के विकास, यात्री सुविधाओं में बढ़ोत्तरी और बढ़ती आबादी की मांगों को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। इन छह प्रस्तावों में बौद्ध सर्किट रेल कॉरिडोर से लेकर नए रेल पुल, दक्षिण बिहार और उत्तर बिहार उपनगरीय परिवहन नेटवर्क जैसी कई अहम परियोजनाएं शामिल हैं। बिहार के मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने इस संबंध में एक पत्र रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को भेजा है। इस विशेष पत्र में उन्होंने बिहार में रेल परिवहन का जिक्र करते हुए लिखा है कि रेल परिवहन न केवल यात्रियों एवं वस्तुओं के परिवहन का एक सुविधाजनक माध्यम है बल्कि यह किसी भी राज्य विशेषकर बिहार जैसे राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने बिहार के जनसंख्या घनत्व की भी चर्चा की है और बताया है कि साल 2024 में बिहार का जनसंख्या घनत्व 1388 प्रति वर्ग किलोमीटर है, जो राष्ट्रीय औसत से 289.5 प्रतिशत अधिक है जबकि राज्य में प्रति लाख जनसंख्या पर रेलवे ट्रैक (किमी) की उपलब्धता 5.31 है जबकि राष्ट्रीय औसत 9.81 है। उन्होंने बिहार के विकास को लेकर निम्नलिखित प्रस्तावों पर विचार आवश्यक बताया है ताकि प्रदेश को राष्ट्रीय मानक पर लाया जा सके। मुख्य सचिव मीणा ने बुद्ध सर्किट रेल कॉरिडोर की विशेष चर्चा की है। उन्होंने लिखा है कि पटना-गया-तिलैया-राजगीर- फतुहा (बख्तियारपुर-तिलैया दोहरीकरण की स्वीकृति) रेल मार्ग पर एक सर्कुलर ट्रेन सेवा शुरू की जा सकती है।
इससे बोधगया और राजगीर आने-जाने वाले यात्रियों को सहूलियत होगी। इससे पटना, जहानाबाद, गया, नवादा और नालंदा जिलों के निवासियों को लाभ मिलेगा। यह बजट भाषण 2025 (पूर्वोदय) के विजन स्टेटमेंट को आगे बढ़ाएगी। इसके साथ ही उन्होंने बिहार के दक्षिण बिहार उपनगरीय परिवहन नेटवर्क की मजबूती पर भी जोर दिया है और बक्सर, भोजपुर, रोहतास, लखीसराय, मुंगेर, शेखपुरा, भागलपुर, जमुई तथा बांका जिलों को राजधानी पटना से बेहतर तरीके से जोड़ने की मांग की है। उन्होंने मुंबई की तरह लोकल ट्रेन सेवा चलाने के संबंध में लिखा है और तीसरी तथा चौथी अतिरिक्त रेल लाइन निर्माण की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने लिखा है कि उत्तर बिहार के सीवान, सारण, वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और दरभंगा जिलों को राजधानी पटना से जोड़ने के लिए एक उपनगरीय परिवहन नेटवर्क विकसित किया जा सकता है। इसके लिए सीवान-छपरा-हाजीपुर- मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर-दरभंगा खंड पर अतिरिक्त रेल लाइनों का निर्माण आवश्यक है। सीवान-छपरा-हाजीपुर-बरौनी-कटिहार खंड में यात्रियों की संख्या अत्यधिक है लिहाजा इस खंड में तीसरी और चौथी रेल लाइन का विकास बेहद जरूरी है। मुख्य सचिव ने फतुहा और बिदुपुर के बीच रेल पुल निर्माण की भी मांग की है और कहा है कि फतुहा एवं बिदुपुर के बीच एक रेल पुल का निर्माण फतुहा स्टेशन के डाउन साइड में किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त पटना-पटना साहिब-फतुहा-बिदुपुर-हाजीपुर-सोनपुर-पाटलिपुत्र-पटना मार्ग पर पटना क्षेत्रीय परिवहन नेटवर्क विकसित किया जा सकता है। यह फतुहा में मेगा कोचिंग टर्मिनल और आधुनिक गुड्स शेड के सफल क्रियान्वयन के लिए आवश्यक है और पटना के आसपास सैटेलाइट टाउन के विकास में भी सहायक होगा।
इससे पटना के आसपास 5 सैटेलाइट टाउन सह मल्टी-मॉडल हब स्थापित करने का लक्ष्य पूरा होगा। इसके साथ ही बिहार के मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने लिखा है कि डीडीयू-बक्सर-आरा-पटना-किउल खंड पर यात्रियों की संख्या अधिक है लिहाजा यात्री सुविधाओं को विस्तार देते हुए तीसरी और चौथी रेलवे लाइनों को शीघ्र मंजूरी की आवश्यकता है। उन्होंने पत्र के माध्यम से रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को बताया है कि डीपीआर बनाने की प्रक्रिया जारी है और राज्य सरकार की ओर से गुलजारबाग-पटना सिटी जैसे भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में भी भूमि अधिग्रहण के लिए हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी, जिसमें सार्वजनिक सुविधाओं को स्थानांतरित करना और सड़कों का विकास आदि शामिल है। मुख्य सचिव ने आरा और छपरा के बीच रेल कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर दिया है। उन्होंने लिखा है कि वर्तमान में जेपी सेतु, राजेंद्र सेतु, मुंगेर घाट पुल रेल पुल के रूप में कार्यरत हैं। कहलगांव के पास एक नए रेल पुल के निर्माण की योजना है। इसके अतिरिक्त आरा और छपरा के बीच एक नया रेल पुल बनने से शाहाबाद और सारण के बीच संपर्क बढ़ेगा, जिससे उत्तर एवं दक्षिण बिहार के बीच यातायात सुगम हो सकेगा। मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने इन परियोजनाओं पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का अनुरोध किया है और कहा है कि राज्य सरकार सभी योजनाओं के कार्यान्वयन में जरूरी और हरसंभव सहायता सुनिश्चित करेगी।