बात चुनाव की पिछली कड़ी में हमने बिहार विधानसभा में आपराधिक विधायकों के आंकड़ों को लेकर चर्चा की थी। आज हम आपको बताएंगे 2005 से लेकर 2020 तक चुनाव के बाद गठित हुई विधानसभा में करोड़पति विधायकों और महिला विधायकों के आंकड़े के बारे में। बिहार में इस साल की अंतिम तिमाही में नई विधानसभा का गठन हो जाएगा। बीते चुनावों की तरह एक बार फिर पूरे देश की नजर बिहार में चुने गए विधायकों पर रहेगी। जनता अपने जनप्रतिनिधियों के बाहुबल के साथ-साथ उनके धनबल को भी परखेगी। एक तरह से देखा जाए तो यह दोनों मानक देश में स्वच्छ राजनीति के पहलू बन चुके हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव में लड़ने और इन्हें जीतने वाले प्रत्याशियों को लेकर विश्लेषण भी जल्द सामने आएंगे, हालांकि, उससे पहले यह जानना जरूरी है कि बिहार में बीते चुनावों में विधायकों के धनबल से जुड़े आंकड़े क्या कहते हैं? ‘बात चुनाव की’ की पिछली कड़ी में हमने बिहार विधानसभा में आपराधिक विधायकों के आंकड़ों को लेकर चर्चा की थी। आज हम आपको बताएंगे 2005 से लेकर 2020 तक चुनाव के बाद गठित हुई विधानसभा में करोड़पति विधायकों और महिला विधायकों के आंकड़े के बारे में। अक्तूबर 2005 में बिहार का विधानसभा चुनाव चार चरणों में हुआ था। इसमें जदयू-भाजपा के एनडीए गठबंधन की जीत हुई थी। कुल 243 विधानसभा सीटों में 2,135 उम्मीदवार खड़े हुए थे। इनमें 1,999 पुरुष (93%) और 136 महिलाएं (7%) थीं। करोड़पतियों की संख्या की बात की जाए तो 2005 में बिहार में कुल विधायकों में से 8 करोड़पति थे। यानी महज तीन फीसदी। बिहार की मुख्य पार्टियों में विजेताओं की औसत संपत्ति 27 लाख रुपये थी। कांग्रेस विधायकों की औसत संपत्ति 21 लाख रुपये थी, जबकि भाजपा विधायकों की 22 लाख, इसी तरह राजद की 27 लाख रुपये और जदयू विधायकों की 34 लाख रुपये। सबसे ज्यादा 40 लाख रुपये औसत संपत्ति लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के विधायकों की थी। बिहार में उस दौर के सबसे अमीर विधायक उस वक्त जदयू के राजू कुमार सिंह थे, जो कि साहबगंज विधानसभा से चुनकर आए थे। उनकी कुल संपत्ति 6 करोड़ 11 लाख रुपये से ज्यादा थी। टॉप-10 में से आठ विधायक करोड़पति थे। इनमें सबसे ज्यादा छह विधायक जदयू के, दो राजद के, एक भाजपा का और एक लोजपा का था। कुल 243 विधायकों में से 2005 में सिर्फ 35 महिलाएं चुनकर विधानसभा पहुंची थीं। यानी सिर्फ 14% विधायक ही महिलाएं थीं। 2010 में हुए बिहार के विधानसभा चुनाव कुल 3,523 उम्मीदवार मैदान में थे। यानी 2005 के मुकाबले कुल 65 फीसदी की बढ़ोतरी। इनमें से 3,215 यानी करीब 91 फीसदी पुरुष थे, वहीं 308 यानी 9 फीसदी महिलाएं थीं। 2010 के विधानसभा चुनाव में कुल विधायकों में से 48 विधायक करोड़पति थे। यानी 19 फीसदी। बिहार में उस दौरान विजेता विधायकों की औसत संपत्ति 81 लाख तक पहुंच गई थी, जो कि 2005 के मुकाबले लगभग तीन गुना थी। राजद के विधायकों की औसत संपत्ति सबसे ज्यादा 1 करोड़ रुपये के करीब थी। वहीं, कांग्रेस विधायकों की 93 लाख, जदयू विधायकों की 84 लाख और भाजपा विधायकों की औसत संपत्ति 64 लाख रुपये आंकी गई थी। बिहार में उस दौरान सबसे अमीर विधायक मधुबनी की बिस्फी सीट से विधायक डॉ. फैयाज अहमद थे। उनके पास 15 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति थी। इसके अलावा भाजपा के सुरेश कुमार शर्मा 9 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के साथ दूसरे नंबर थे। टॉप-10 अमीर विधायकों में अकेले जदयू के छह विधायक थे। वहीं, भाजपा के तीन और राजद के एक विधायक थे। बिहार में 2010 के विधानसभा चुनाव में कुल 308 उम्मीदवारों में से 34 ने जीत दर्ज की। यानी इस बार भी महिला विधायकों की संख्या महज 14 फीसदी ही रही। 2015 के विधानसभा चुनाव मे कुल 3450 उम्मीदवार खड़े हुए। इनमें महज 8 फीसदी यानी 273 महिला प्रत्याशी रहीं। यह संख्या 2010 की 307 महिला उम्मीदवारों की संख्या से कम रही। इन चुनावों में 158 राजनीतिक दल शामिल हुए। इसके अलावा कई निर्दलीय प्रत्याशी भी खड़े हुए। 2015 विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाले कुल 243 विधायकों में से 160 विधायक करोड़पति थे। यानी पूरी विधानसभा में कुल 67 फीसदी विधायक करोड़पति थे। बिहार में उस दौरान विजेता विधायकों की औसत संपत्ति 3.06 करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी, जो कि 2010 के मुकाबले करीब चार गुना थी। राजद के विधायकों की औसत संपत्ति 3.02 करोड़ रुपये थी, जबकि जदयू विधायकों की औसत संपत्ति 2.79 करोड़ रुपये। इसके अलावा भाजपा विधायकों की औसत संपत्ति 2.38 करोड़ रुपये थी। कांग्रेस के विधायकों की औसत संपत्ति सबसे ज्यादा 4.36 करोड़ रुपये रही। बिहार में उस दौरान सबसे अमीर विधायक जदयू की पूनम देवी यादव रही थीं। खगड़िया से विधायक पूनम की कुल संपत्ति तब 41 करोड़ रुपये से ज्यादा थी। दूसरे नंबर पर भागलपुर से कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा थे, जिन्होंने अपनी कुल संपत्ति 40 करोड़ से ज्यादा घोषित की थी। तीसरे नंबर पर मोकामा से निर्दलीय विधायक अनंत कुमार सिंह का नाम था, जिन्होंने अपनी कुल संपत्ति तब 28 करोड़ से ज्यादा घोषित की। टॉप-10 अमीर विधायकों में तीन जदयू के, दो राजद के, दो कांग्रेस के, दो निर्दलीय और एक भाजपा का विधायक भी शामिल था। बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव में कुल 273 महिला उम्मीदवारों में से 28 ही जीत दर्ज करने में सफल रहीं। यानी इस बार विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या महज 12 फीसदी ही रही। 2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 3733 उम्मीदवार खड़े हुए थे। इनमें 350 राष्ट्रीय पार्टियों से, 474 राज्य पार्टियों से, 1607 गैर-मान्यता प्राप्त दलों से और 1296 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। इस बार चुनाव में कुल 370 महिला उम्मीदवार खड़ी हुईं, जो कि कुल उम्मीदवारों का 9.91 फीसदी था। बिहार विधानसभा में 2020 में चुनकर पहुंचे कुल विधायकों में से 194 करोड़पति थे। यानी विधानसभा में 81 फीसदी जनप्रतिनिधि करोड़पति रहे। बिहार में 2020 में विधायकों की औसत संपत्ति 4.32 करोड़ रुपये दर्ज हुई। सबसे ज्यादा राजद के विधायकों की औसत संपत्ति 5.92 करोड़ रुपये दर्ज हुई। इसके बाद दूसरा नंबर कांग्रेस के विधायकों का रहा, जिनकी औसत संपत्ति 5.18 करोड़ रुपये रही। जदयू विधायकों की औसत संपत्ति 4.17 करोड़ रुपये और भाजपा विधायकों की औसत संपत्ति 3.56 करोड़ रुपये रही। बिहार में उस दौरान सबसे अमीर विधायक राजद से चुनाव लड़ रहे अनंत कुमार सिंह रहे। मोकामा से विधायक बने अनंत सिंह ने अपनी संपत्ति तब 68 करोड़ रुपये घोषित की थी, जो कि पिछले चुनाव से 40 करोड़ रुपये ज्यादा थी। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के अजीत शर्मा रहे। भागलपुर से विधायक शर्मा ने अपनी संपत्ति 43 करोड़ रुपये से ज्यादा घोषित की थी। तीसरे नंबर पर राजद की विभा देवी रहीं, नवादा से विधायक विभा ने अपनी संपत्ति 29 करोड़ घोषित की। टॉप-10 अमीर विधायकों में छह राजद के रहे। वहीं, दो जदयू के विधायक भी लिस्ट में रहे। इसके अलावा कांग्रेस और भाजपा के एक-एक विधायक 10 सबसे अमीर विधायकों में शामिल रहे। बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 370 महिला उम्मीदवारों में से 26 ही जीत दर्ज करने में सफल रहीं। यानी इस बार 243 सदस्यीय विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या और कम होते हुए 11 फीसदी ही रह गई।