बिहार में जमीन रजिस्ट्री के काम में बदलाव और पेपरलेस सिस्टम की शुरुआत की जा रही है, जिससे राज्य के आम लोगों को कई लाभ मिलने की संभावना है। बिहार सरकार ने ई-निबंधन सॉफ्टवेयर के जरिए जमीन रजिस्ट्री प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन करने का फैसला लिया है, जिसकी शुरुआत 27 फरवरी से होने जा रही है। इस नए सिस्टम से न केवल प्रक्रिया की गति तेज होगी, बल्कि फर्जीवाड़े की आशंका भी कम होगी, क्योंकि अब सभी कार्य ऑनलाइन होंगे और स्टांप ड्यूटी व रजिस्ट्रेशन शुल्क भी ऑनलाइन माध्यम से अदा किया जाएगा।
हालांकि, इस फैसले के बाद कुछ लोगों के लिए चिंता का कारण भी बना है, खासकर कातिबों और स्टांप वेंडरों के लिए। उनका कहना है कि इस बदलाव से उनकी नौकरी पर खतरा मंडरा सकता है, क्योंकि पहले वे फिजिकल डीड्स तैयार करते थे, लेकिन अब ऑनलाइन प्रक्रिया के चलते उनकी भूमिका घट सकती है। हालांकि, सरकार ने इस पर तत्काल प्रतिक्रिया दी और स्पष्ट किया कि इन कर्मचारियों को बेरोजगार होने से बचाने के लिए विकल्प दिए जाएंगे। वे अब भी पुराने तरीके से काम कर सकते हैं, बस अंतर यह होगा कि उन्हें अब ऑनलाइन माध्यम से काम करना होगा।
इसके अलावा, यह भी बताया गया है कि नए वित्तीय वर्ष 2025-26 तक राज्य के सभी 137 रजिस्ट्री कार्यालयों में पेपरलेस रजिस्ट्री पूरी तरह से लागू हो जाएगी। निबंधन महानिरीक्षक रजनीश कुमार ने सभी संबंधित अधिकारियों को इस नए सिस्टम के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है। इस बदलाव से जहां एक तरफ आम नागरिकों को सहूलियत मिलेगी, वहीं यह कदम जमीन रजिस्ट्री में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में भी मददगार साबित होगा।