खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 का बिहार में आयोजन न सिर्फ एक प्रतियोगिता है, बल्कि यह राज्य के युवाओं को खेलों को एक गंभीर करियर विकल्प के रूप में अपनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रेरणा दे रहा है। राज्य सरकार और आयोजन समिति की सोच के अनुरूप इस भव्य आयोजन ने छोटे-छोटे बच्चों और किशोरों के मन में खेलों के प्रति उत्साह, जुनून और भविष्य की एक स्पष्ट दिशा पैदा की है। खंजरपुर के बिहार सशस्त्र पुलिस बल कैंप स्थित इंडोर स्टेडियम में जब सापेक टाकरा युगल मुकाबले में बिहार और नागालैंड की टीमें आमने-सामने थीं, तब दर्शक दीर्घा में मौजूद नन्हे बच्चों की आंखों में उम्मीद और प्रेरणा की चमक साफ दिखी। स्कोरबोर्ड पर हर अंक के साथ उनका जोश बढ़ रहा था। बिहार की टीम को चियर करती बच्चियों की तालियों की गूंज और उत्साह बता रहा था कि खेलों के प्रति उनका लगाव अब महज दर्शक बनने तक सीमित नहीं है, बल्कि वे भी उस मैदान का हिस्सा बनना चाहती हैं। बिहार सरकार के इस आयोजन के पीछे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्पष्ट मंशा रही है कि युवाओं को खेलों की ओर आकर्षित किया जाए और राज्य में एक जीवंत खेल संस्कृति विकसित की जाए। बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रवींद्रण शंकरण ने कहा कि उनका मकसद सिर्फ पदक जीतना नहीं, बल्कि युवाओं को खेलों की भव्यता और उनके भीतर छिपे अवसरों से अवगत कराना है।
दीघा के रेलवे खेल परिसर में मुक्केबाजी मुकाबलों के दौरान भी कई बच्चे खेलों को लेकर गंभीरता दिखाते नजर आए। केंद्रीय विद्यालय-2, बेली रोड की छात्रा वसुधा सिंह, जो स्वयं एक बैडमिंटन खिलाड़ी है और संभागीय खेलों में रजत पदक जीत चुकी है, भले ही पटना में बैडमिंटन मुकाबले न देख पाने से निराश थी, लेकिन मुक्केबाजी के मुकाबलों से वह प्रेरित हुई। वसुधा का कहना है कि मैं भी एक दिन अपने राज्य के लिए खेलो इंडिया यूथ गेम्स में खेलना चाहती हूं। इस आयोजन की खास बात यह रही कि सिर्फ बच्चे ही नहीं, उनके परिवार के सदस्य भी पूरे जोश के साथ मैचों में भाग ले रहे हैं। सापेक टाकरा मुकाबलों के दौरान अपनी दादी के साथ भाव्या, नाव्या और निवेदिता की मौजूदगी ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब परिवार भी बेटियों के खेल करियर को लेकर सजग हो रहे हैं। भाव्या की दादी ने कहा कि बच्चियां लगातार कह रही थीं कि उन्हें खेल देखना है। अब इन्होंने खेल को करियर बनाने का मन बना लिया है। ज्ञान भवन में आयोजित जूडो मुकाबलों में जब युवा मैट पर अपने कौशल का प्रदर्शन कर रहे थे, तब दर्शकों की नजरों में चमत्कार और सीख की चमक थी। मुंबई से आई 13 वर्षीय मानसी, जो बैडमिंटन खेलती हैं, ने कहा कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स में अपनी उम्र के बच्चों को इस स्तर पर खेलते देखना बेहद प्रेरणादायक है। अब मैं भी अपने खेल को लेकर और गंभीर हो गई हूं।