बिहार कि राजनीति एक बार फिर से सुर्खियों में आ गई है, आपको बता दें कि कटिहार में आयोजित कार्यकर्ता संवाद यात्रा के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पे निशान साधते हुए उनसे बिहार में शराबबंदी कानून की समीक्षा और इस पर नए सिरे से चर्चा करने की मांग की है. साथ ही ये आरोप भी लगाया है कि राज्य में शराबबंदी कानून का पालन सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि घर-घर शराब की डिलीवरी हो रही है.
बताते चलें कि कटिहार में संवाद यात्रा के दौरान जब पत्रकारों ने उनसे शराबबंदी के बारे में सवाल किया, तो तेजस्वी यादव के शब्द कुछ ये थे –
“शराबबंदी एक अच्छी नीति है, लेकिन इसे लागू करने में सरकार पूरी तरह विफल रही है. कानून के बावजूद शराब की तस्करी और होम डिलीवरी आम हो गई है. मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे इस पर सभी दलों के नेताओं, अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ एक बार फिर से बैठक बुलाएं और इसके प्रभाव का आकलन करें.”
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस बात पर भी जोर दिया कि शराबबंदी को लागू करने में जिन खामियों का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें ठीक करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने कहा कि – “हम चाहते हैं कि इस नीति को और प्रभावी बनाया जाए, लेकिन यह तभी संभव है जब इसकी समीक्षा की जाए और इसके क्रियान्वयन में पारदर्शिता लाई जाए.”
आपको बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून अप्रैल 2016 में लागू हुआ था, जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश किया. लेकिन इसके लागू होने के बाद से ही इस पर विवाद होते आ रहें है.
अगर इसके कुछ मुख्य बिंदुओं पर नज़र डालें तो –
. शराबबंदी के कारण राज्य सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान हुआ है.
. शराब की तस्करी और अवैध बिक्री के मामले लगातार बढ़े हैं.
. कई रिपोर्टों में खुलासा हुआ है कि शराबबंदी के बावजूद राज्य में शराब की होम डिलीवरी आम हो गई है.
अब तेजस्वी यादव के इस बयान को कई नजर से देखा जा सकता है, एक तरफ ये बयान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीति पर कई सवाल खड़े कर रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ ये बयान दोनों नेताओं के बीच फिर से राजनीतिक साझेदारी के संकेत भी देती है.
तेजस्वी यादव के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मचना तो लजमी है. और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह चुनौतीपूर्ण होगा कि वे शराबबंदी पर तेजस्वी की सलाह को कैसे लेते हैं. वहीं, जनता और विपक्षी दल भी इस मामले पर सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं.
अब देखना यह है कि तेजस्वी की मांग पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या कदम उठाते हैं और क्या बिहार में शराबबंदी पर फिर से कोई बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.