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पटना हाईकोर्ट में BPSC 70वीं पीटी विवाद पर आज सुनवाई, अनशन तोड़ेंगे प्रशांत किशोर

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Hearing on BPSC 70th PT dispute in Patna High Court today

बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा 13 दिसंबर को आयोजित की गई 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर आज पटना हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। यह याचिका प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज की ओर से दायर की गई है। जनसुराज के वकील प्रणव कुमार ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट से अपील की है कि जब तक दुबारा परीक्षा न हो, तब तक 70वीं पीटी का परिणाम जारी न किया जाए। इस मामले में वरिष्ठ वकील वाईवी गिरि ने जनसुराज का पक्ष संभाला है। पार्टी की मांग है कि परीक्षा में अनियमितताओं और छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए इसे रद्द कर दुबारा से परीक्षा ली जाए। जनसुराज के मुखिया प्रशांत किशोर, जो कि पिछले 14 दिनों से आमरण अनशन पर थे, अपनी बिगड़ती तबीयत के चलते आईसीयू में भर्ती कराए गए थे। अब वह स्वस्थ हैं और उन्होंने अपना अनशन समाप्त करने का निर्णय लिया है। प्रशांत किशोर दोपहर 2 बजे पटना के एलसीटी घाट स्थित जनसुराज कैंप में अनशन समाप्त करेंगे। जनसुराज के प्रवक्ता ने बताया कि यह फैसला युवाओं और जनसुराज परिवार के सम्मान में लिया गया है। अनशन समाप्त करने के साथ ही पीके सत्याग्रह के अगले चरण की घोषणा भी करेंगे। इससे पहले, 70वीं पीटी परीक्षा को रद्द करने के लिए जनसुराज ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का आदेश दिया। 7 जनवरी को मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि यह मामला पटना हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दी थी कि प्रदर्शन के दौरान पटना पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज किया, जिससे देशभर में आक्रोश फैल गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम आपकी भावनाओं को समझते हैं। लेकिन आपको अनुच्छेद 226 के तहत पटना हाईकोर्ट का रुख करना चाहिए। यह मामला वहीं सुना जाना चाहिए।” बीपीएससी की 70वीं पीटी परीक्षा में कथित अनियमितताओं को लेकर छात्र लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जनसुराज ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए निष्पक्ष और पारदर्शी परीक्षा की मांग की है। अब सबकी नजरें पटना हाईकोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाती है।

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