
दरभंगा में लोगों ने एक अनोखा नजारा देखा, जब डॉ. जावेद अब्दुल्लाह नाम के एक पर्यावरण कार्यकर्ता और लेखक सड़क पर लोटते और रेंगते हुए चलते नजर आए। लोग यह देखकर हैरान रह गए। डॉ. जावेद ने बताया कि वह धरती की पीड़ा को लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं और चाहते हैं कि पृथ्वी और पर्यावरण को संविधान की प्रस्तावना में जगह दी जाए। इसी मांग को लेकर उन्होंने दरभंगा में एक मील से ज्यादा की दूरी रोलिंग और क्रॉलिंग करते हुए तय की। उन्होंने कहा कि यह केवल कोई दिखावा नहीं है, बल्कि पूरी मानवता को जगाने और सोचने पर मजबूर करने वाला एक संदेश है। डॉ. जावेद अब्दुल्ला ने यह अनोखी यात्रा एक अपराधी के कपड़े पहनकर की। इसका मकसद यह दिखाना था कि आज इंसान खुद धरती का सबसे बड़ा अपराधी बन गया है। यह यात्रा दरभंगा के होली रोजरी चर्च, दोनार से शुरू हुई और कर्पूरी चौक पर जाकर खत्म हुई। यात्रा की शुरुआत चर्च के फादर रॉय, ब्रदर नोबेल और सिस्टर्स की मौजूदगी में हुई। सभी ने पोप फ्रांसिस की याद में दो मिनट का मौन भी रखा। डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने रोलिंग और क्रॉलिंग इसलिए की ताकि लोगों को चेतावनी दी जा सके, अगर समय रहते पर्यावरण की रक्षा नहीं की गई तो एक दिन आम लोगों को भी इसी तरह जमीन पर लोटना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि इस तरह का प्रदर्शन यह बताता है कि प्रकृति की सुरक्षा और पर्यावरण बचाना हम सभी की जिम्मेदारी है। अगर लोग अब भी नहीं जागे, तो आने वाले समय में जीवन मुश्किल हो जाएगा।