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कैमूर पहाड़ी के गांवों की तकदीर बदलने को तैयार: सुधा डेयरी बनाएगी देसी गाय का शुद्ध घी, रोजगार के नए अवसर होंगे सृजित

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eady to change the fate of the villages of Kaimur Hills: Sudha Dairy will make pure ghee from desi cows, new employment opportunities will be created.

कैमूर पहाड़ी के ग्रामीण इलाकों में रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण की नई शुरुआत होने वाली है. शाहाबाद दुग्ध उत्पादन सहयोग समिति ने स्थानीय सुधा डेयरी प्लांट के माध्यम से देसी गाय का शुद्ध घी उत्पादन और बिक्री का फैसला किया है. इसके लिए नौहट्टा, रोहतास, शिवसागर और चेनारी प्रखंडों के गांवों में सर्वेक्षण का कार्य तेजी से चल रहा है.
गांवों में जीविका समूह के सहयोग से यह सर्वे हो रहा है ताकि हर राजस्व गांव से कम से कम 2000 लीटर देसी गाय का दूध प्राप्त किया जा सके. इस पहल से न केवल कैमूर पहाड़ी के जनजातीय और अन्य ग्रामीण समुदायों को रोजगार मिलेगा, बल्कि देसी घी जैसी स्वास्थ्यवर्धक वस्तु की उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी.

डीएम ने दिए निर्देश, सुधार होगा मूल्य निर्धारण

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रोहतास की जिलाधिकारी उदिता सिंह ने सुधा डेयरी प्लांट को जल्द कार्य प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं. पशुपालन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, रेहल गांव में प्रतिदिन 3000 लीटर से अधिक दूध का उत्पादन होता है. लेकिन उचित व्यवस्था के अभाव में बिचौलियों द्वारा दूध सस्ते दामों (35 रुपये प्रति लीटर) में खरीदकर अन्य शहरों में महंगे दामों पर बेचा जाता है.
अब 16 गांवों में सर्वे पूर्ण होने के बाद दुग्ध उत्पादन समितियों का गठन किया जा रहा है. प्रत्येक समिति में 25 सदस्य होंगे, जिसमें अध्यक्ष, सचिव और कार्यकारिणी के 13 सदस्य शामिल होंगे. ये समितियां दूध को सीधे सुधा डेयरी को बेचेंगी और पशुपालकों को दूध में फैट के आधार पर 40-50 रुपये प्रति लीटर (देसी गाय का दूध) और 45-80 रुपये प्रति लीटर (भैंस का दूध) का उचित मूल्य मिलेगा.

शुद्ध देसी घी से स्वास्थ्य और आय में वृद्धि

देसी घी का महत्व केवल स्वास्थ्य लाभ तक सीमित नहीं है. यह आयुर्वेद में कई बीमारियों के इलाज में सहायक है. सुधा डेयरी का वाहन जल्द ही पहाड़ी गांवों तक पहुंचेगा, जिससे दुग्ध उत्पादकों को सीधा लाभ मिलेगा. प्रबंधक अमित आनंद का कहना है कि प्रारंभिक चरण के बाद कम से कम 2000 लीटर दूध प्रति समिति से प्राप्त होते ही देसी घी निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा.

यह पहल कैमूर पहाड़ी के दुर्गम गांवों के आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है. इससे न केवल गांवों की तकदीर बदलेगी, बल्कि शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक देसी घी की उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी.

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