राष्ट्रीय बालिका दिवस भारत में हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लड़कियों को समान अधिकार और अवसर प्रदान करने के लिए जागरूकता फैलाना है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे नारों के साथ यह दिन बालिकाओं को सशक्त बनाने और उनके महत्व को रेखांकित करने का अवसर प्रदान करता है। बिहार, जो कभी लड़कियों की शिक्षा में पिछड़ा हुआ राज्य माना जाता था, आज ‘मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना’ के माध्यम से महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुका है। यह योजना न केवल लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने का काम कर रही है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी अग्रसर कर रही है। इस योजना की शुरुआत समाज में लड़कियों के प्रति सकारात्मक बदलाव लाने, उनके जन्म को प्रोत्साहित करने और उन्हें शिक्षा एवं आर्थिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। कन्या भ्रूण हत्या रोकने, बाल विवाह पर अंकुश लगाने और लड़कियों को मुख्यधारा में लाने के लिए यह योजना एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है।
बच्ची के जन्म से प्रारंभिक सहायता:
बच्ची के जन्म पर 2,000 रुपये तत्काल परिजन के खाते में भेजे जाते हैं।
जन्म के एक वर्ष बाद आधार लिंक कराने पर 1,000 रुपये और टीकाकरण पूरा होने पर 2,000 रुपये की अतिरिक्त सहायता मिलती है।
बच्ची के दो साल पूरे होने तक सरकार कुल 5,000 रुपये प्रदान करती है।
पोशाक और स्वास्थ्य सहायता:
पहली से बारहवीं कक्षा तक पढ़ने वाली छात्राओं को पोशाक के लिए प्रतिवर्ष 600 से 1,500 रुपये दिए जाते हैं।
किशोरी स्वास्थ्य योजना के तहत आठवीं कक्षा से छात्राओं को सेनेट्री पैड के लिए 300 रुपये का वार्षिक प्रावधान है।
माध्यमिक और उच्च शिक्षा प्रोत्साहन:
मुख्यमंत्री बालिका (माध्यमिक +2) प्रोत्साहन योजना के तहत 12वीं कक्षा पास करने वाली अविवाहित छात्राओं को 25,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है।
मुख्यमंत्री बालिका (स्नातक) प्रोत्साहन योजना के तहत स्नातक पास छात्राओं को 50,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है।
यह योजना बालिकाओं को जन्म से लेकर उच्च शिक्षा तक वित्तीय सहायता देकर उनके अधिकार सुनिश्चित करती है। इसके प्रभाव से बिहार में लिंग अनुपात में सुधार हुआ है, बालिका शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है और बाल विवाह के मामलों में कमी आई है। बिहार के स्कूलों और सड़कों पर आज साइकिल से जाती लड़कियां इस योजना की सफलता का प्रमाण हैं। इसने बालिकाओं के प्रति समाज की सोच में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लड़कियां अब केवल शिक्षा में ही नहीं, बल्कि खेल, प्रतियोगी परीक्षाओं और अन्य क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर रही हैं। ‘मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना’ ने बिहार में महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक नई क्रांति लाई है। यह योजना न केवल आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की लड़कियों के लिए एक नई उम्मीद बनकर आई है, बल्कि पूरे राज्य में लड़कियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर रही है। इस तरह की योजनाएं अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती हैं, जिससे समाज में बालिकाओं को समान अवसर और सम्मान मिल सके।