बिहार में BPSC परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों के समर्थन में पटना के गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे जन सुराज पार्टी (जसुपा) के सूत्रधार प्रशांत किशोर पीके को पुलिस ने सोमवार सुबह 4 बजे गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जमानत मिल गई। सोमवार सुबह करीब 3-4 बजे के बीच में पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए एम्स पटना में भर्ती कराया गया। एम्स, पटना के बाहर उनके समर्थकों की भीड़ लग गई थी, जिसमें काफी संख्या में महिला समर्थक भी थीं। पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर एंबुलेंस को अंदर ले जाने में सफलता पाई। जानकारी के अनुसार, प्रशांत किशोर ने किसी भी तरह की जांच और अनशन तोड़ने से इनकार कर दिया है। डॉक्टरों ने प्रारंभिक जांच में किसी भी चिंता की बात से इनकार किया है। प्रशांत किशोर को कोर्ट ने 25 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दी है। इसके साथ ही उन्हें लिखित में देना होगा कि वे भविष्य में ऐसा नहीं करेंगे। पीके के वकील ने बताया कि उन्होंने इस शर्त को मानने से इनकार कर दिया है। धरना प्रदर्शन करना मौलिक अधिकार है, इसलिए वे ऐसा लिखकर नहीं दे रहे हैं। अगर प्रशांत किशोर कंडीशनल बेल बॉन्ड नहीं भरते हैं, तो उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि गांधी मैदान में धरना प्रतिबंधित है। गर्दनीबाग धरना स्थल पर जाने के लिए प्रशासन ने नोटिस दिया था, जिसके बाद कार्रवाई की गई। जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि 43 लोगों को हिरासत में लिया गया है और 15 गाड़ियों को सीज किया गया है। इनमें से 30 लोगों का वेरीफिकेशन किया गया, 4 लोग राज्य से बाहर के हैं और 5 लोग पटना के हैं। जन सुराज पार्टी के प्रवक्ता मनोज बैठा ने नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार संविधान और मानवता को भूल चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर को इधर-उधर घुमाकर प्रशासन धांधली को छुपाने का प्रयास कर रहा है। राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने इस घटना पर प्रतिक्रिया दी कि यह एक वीआईपी विरोध-प्रदर्शन था, जो छात्रों के आंदोलन की आड़ में अपनी राजनीति चमकाने का प्रयास था। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशांत किशोर दोनों एक्सपोज हो गए हैं और यह आंदोलन सरकार के संरक्षण में किया गया नाटक था। सूचना के अनुसार, एम्स से जांच के बाद प्रशांत किशोर को किसी अन्य स्थान पर ले जाया गया। पुलिस ने प्रशांत किशोर को गांधी मैदान से एम्स ले जाकर अनशन तुड़वाने का प्रयास किया, लेकिन इसमें विफल रही। इसके बाद प्रशासन ने उन्हें नई जगह पर ले जाने की कोशिश की। एम्स के बाहर प्रशांत किशोर को देखने उमड़ी भीड़ पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। जन सुराज ने सोशल मीडिया पर आरोप लगाया कि पुलिस ने प्रशांत किशोर का चश्मा फेंक दिया और समर्थकों के साथ दुर्व्यवहार किया। समर्थकों ने बताया कि उन्हें प्रशांत किशोर के ठिकाने की जानकारी नहीं दी गई, इस पूरे घटनाक्रम से बिहार की राजनीति में उबाल आ गया है और विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया है। वहीं, पुलिस प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाए गए कदमों को उचित ठहराया है।