पटना हाईकोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) 70वीं प्रारंभिक परीक्षा के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इसके बाद आयोग द्वारा पूर्व में जारी किया गया परिणाम ही लागू रहेगा। बीपीएससी 70वीं प्रारंभिक परीक्षा विवादों में तब आई जब पटना के एक परीक्षा केंद्र की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो गए। इन घटनाओं के बाद छात्रों ने परीक्षा केंद्र में देरी से प्रश्नपत्र देने, प्रश्नपत्रों की संख्या में गड़बड़ी और उत्तरपुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़ जैसे आरोप लगाए। कुछ छात्रों ने यहां तक दावा किया कि परीक्षा में पेपर लीक भी हुआ है। इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग भी ले लिया। पहले विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इसमें दखल दिया, उसके बाद निर्दलीय सांसद पप्पू यादव और जन सुराज पार्टी के प्रशांत किशोर भी इसमें कूद पड़े। प्रशांत किशोर ने न केवल आंदोलन का नेतृत्व किया, बल्कि एक लंबी भूख हड़ताल भी की और याचिका दायर करवा दी। शेखपुरा के पप्पू कुमार, पूर्वी चंपारण के संदीप कुमार सिंह, गया के रवीश कुमार राज सहित 14 छात्रों ने मिलकर पटना हाईकोर्ट में CWIC- 369/2025 के तहत याचिका दायर की थी। इन छात्रों को प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन सुराज का समर्थन मिला। पटना हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया कि आयोग द्वारा 70वीं प्रारंभिक परीक्षा का जो परिणाम जारी किया गया है, वही मान्य रहेगा। इससे पहले आयोग ने कुछ शर्तों के साथ परिणाम घोषित किया था, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद उन शर्तों को भी हटा दिया गया है हाईकोर्ट के फैसले के बाद 21581 सफल अभ्यर्थियों का परिणाम अब पूरी तरह से वैध हो गया है। वहीं, 307409 असफल अभ्यर्थियों के लिए अब सिर्फ हाईकोर्ट में अपील का ही विकल्प बचा है। इस विवाद के कारण बीपीएससी परीक्षा प्रणाली पर कई सवाल खड़े हुए हैं, लेकिन फिलहाल हाईकोर्ट के फैसले ने परीक्षा परिणाम को अंतिम रूप से लागू कर दिया है।