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राहुल गांधी के आगमन से पूर्व, पटना में सरकारी होर्डिंग्स और पोस्टर्स हटाए गए

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Before Rahul Gandhi's arrival

पटना से बड़ी खबर आ रही है, जहां जिला प्रशासन के निर्देश पर नगर निगम ने राहुल गांधी के आगमन से पहले शहरभर में लगे पोस्टर्स को हटा दिया है। यह घटना 16 जनवरी की सुबह की है और इस कदम को लेकर शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। नगर निगम के कर्मचारियों के मुताबिक, उन्हें जिला प्रशासन से स्पष्ट निर्देश प्राप्त हुए थे कि सभी सरकारी होर्डिंग्स और गोलंबरों पर लगे पोस्टर्स को तुरंत हटाया जाए। प्रशासन ने पोस्टर्स हटाने का कारण शहर के यातायात और सुरक्षा व्यवस्था को बताया है। अधिकारियों के अनुसार, गोलंबर और सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर्स लगाने से यातायात में बाधा उत्पन्न होती है। इसके अलावा, यह सुरक्षा इंतजामों के लिए भी एक चुनौती बन सकता है। इसी वजह से राहुल गांधी के आगमन से 48 घंटे पहले इन पोस्टर्स को हटाने का फैसला लिया गया। नगर निगम के कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें सुबह-सुबह निर्देश मिला था कि शहर के प्रमुख स्थानों, खासकर गोलंबरों और सरकारी होर्डिंग्स पर लगाए गए सभी पोस्टर्स को हटाया जाए। कर्मचारियों का कहना है कि यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने और आम जनता को असुविधा से बचाने के लिए यह कदम उठाया गया। इस कार्रवाई ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। राहुल गांधी के पोस्टर्स को हटाने को लेकर विरोधी दलों ने इसे राजनीति से प्रेरित कदम बताया है। उनका कहना है कि प्रशासन विपक्षी नेताओं के कार्यक्रमों को लेकर ज्यादा सख्ती दिखाता है, जबकि सत्तारूढ़ दल के आयोजनों में ऐसा देखने को नहीं मिलता। शहर के नागरिक इस घटना को लेकर दो गुटों में बंट गए हैं। कुछ का मानना है कि यातायात और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन का यह फैसला सही है। वहीं, कई लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर चोट मानते हैं। उनके अनुसार, पोस्टर्स हटाने का फैसला राहुल गांधी के आगमन को लेकर प्रशासन की ओर से गैरजरूरी सख्ती का उदाहरण है। राहुल गांधी के 18 जनवरी को पटना आने की उम्मीद है। उनके दौरे के दौरान सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखने के लिए प्रशासन ने पहले ही कई कदम उठाए हैं। पुलिस और प्रशासन का कहना है कि पोस्टर्स हटाने का निर्णय भी सुरक्षा उपायों का हिस्सा है। नगर निगम द्वारा पोस्टर्स हटाने की कार्रवाई एक प्रशासनिक निर्णय हो सकता है, लेकिन इसका राजनीतिक असर साफ तौर पर नजर आ रहा है। यह घटना न केवल शहर में चर्चा का विषय बन गई है, बल्कि इसने राजनीतिक दलों को एक बार फिर आमने-सामने ला खड़ा किया है। अब देखना होगा कि राहुल गांधी के आगमन पर इस पूरे मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया आती है और प्रशासन अपने कदम का क्या औचित्य प्रस्तुत करता है।

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