
पटना : पटना स्थित चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान (सीआईएमपी) के परिसर में 10 जून 2025 को रामभाऊ म्हलगी प्रबोधिनी, सीआईएमपी, एसजीटी विश्वविद्यालय तथा सार्वजनिक नीति अनुसंधान केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। बिहार लीड्स द राइजिंग ईस्ट शीर्षक वाले इस कार्यक्रम में नीति–निर्माताओं, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने पूर्वी भारत, विशेषकर बिहार की विकास–यात्रा और नेतृत्वकारी संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की। आरंभ में सीआईएमपी के निदेशक डॉ. प्रो. राणा सिंह ने अतिथियों का स्वागत कर कहा कि यह मंच राज्य की क्षमताओं और चुनौतियों को पहचानने के लिए अनूठा अवसर प्रदान करता है। रामभाऊ म्हलगी प्रबोधिनी के उपाध्यक्ष एवं राज्यसभा के पूर्व सदस्य डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने उद्घाटन वक्तव्य में कहा कि पिछले बीस वर्षों में एनडीए शासन के दौरान बिहार ने ‘बीमारू’ की छवि से निकल कर ‘बेहतरीन’ उदाहरण प्रस्तुत किया है।
उन्होंने प्रशासनिक सुधार, आधारभूत संरचना और जन–कल्याण की योजनाओं का उल्लेख कर बताया कि लगातार नीति–सातत्य ने राज्य को स्थिर प्रगति की राह पर डाला है। एसजीटी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेमंत वर्मा ने तर्क दिया कि विश्वविद्यालयों को महज सैद्धांतिक ज्ञान से आगे बढ़कर व्यावहारिक कौशल पर केंद्रित पाठ्यक्रम तैयार करने होंगे, तभी समग्र विकास की बुनियाद मजबूत होगी। बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने स्वास्थ्य, सड़कों, महिला सशक्तिकरण, मत्स्य पालन तथा अर्थव्यवस्था में हुए सुधार का विस्तृत डेटा प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि राज्य अब आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में दृढ़ योगदान दे रहा है और जल्द ही देश के अग्रणी राज्यों में शुमार होगा। उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने बताया कि गया में स्थापित इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर ने रोजगार के अवसरों को कई गुना बढ़ाया है। स्टार्ट-अप इकाइयों की संख्या 1,600 से दोगुनी होने की ओर बढ़ रही है, जिससे बिहार एक उभरते विनिर्माण केन्द्र के रूप में पहचान बना रहा है। वहीं, नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीवीआर सुब्रह्मण्यिम ने कहा कि भारत ने अत्यधिक गरीबी को घटाकर 5.3 प्रतिशत पर ला दिया है, किंतु पूर्वी भारत की तेज प्रगति राष्ट्रीय वृद्धि का अनिवार्य आधार है।
उन्होंने बिहार को लगातार 10–12 फीसदी जीडीपी वृद्धि हासिल करने सक्षम बताया और शिक्षा, स्वास्थ्य व कौशल विकास पर विशेष बल दिया। उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार अब ‘बिमारू’ की परिभाषा से कोसों दूर है। उनके अनुसार सामूहिक प्रयासों द्वारा राज्य अपनी भूगोलिक स्थिति और युवा जनसंख्या का लाभ उठा कर आश्चर्यजनक विकास कर सकता है। समारोह के मुख्य अतिथि बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि हाल के वर्षों में सड़क यातायात में आए परिवर्तन ने गांव-शहर की दूरी सचमुच पाट दी है, जहां पहले 50 किलोमीटर की यात्रा में तीन घंटे लगते थे, अब वही रास्ता 45 मिनट में पूरा हो जाता है। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र की प्रगति की विशेष प्रशंसा की, जिसे उन्होंने कुछ पहलुओं में केरल से भी आगे माना। राज्यपाल ने महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और पुलिस बल में अधिक प्रतिनिधित्व देने पर भी बल दिया।
ग्रामीण कार्य मंत्री आशोक चौधरी, नीति आयोग के अतिरिक्त मिशन निदेशक आनंद शेखर, सीआईएमपी के प्रोफेसर सुनील कुमार, पूर्व डीजी एस के झा, पटना विश्वविद्यालय के डॉ. गुरु प्रकाश पासवान, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह तथा एसजीटी विश्वविद्यालय के ट्रस्टी अमोग राय ने भी शैक्षिक गुणवत्ता, प्रशासनिक सुधार और सामाजिक समावेशन पर अपने विचार रखे। धन्यवाद ज्ञापन सीआईएमपी के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कुमुद कुमार ने प्रस्तुत किया।