भारत के ओलंपिक खिलाड़ियों के लिए खेल मंत्रालय ने टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना (टॉप्स) में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इसके तहत चुने गए खिलाड़ियों को अब विदेश में अभ्यास और स्पर्धाओं के दौरान मिलने वाले भत्ते में बढ़ोतरी की जाएगी। हालांकि, इसके साथ एक नई शर्त जोड़ी गई है, जिसके अनुसार खिलाड़ियों को हर छह महीने में शारीरिक और मानसिक परीक्षण देने होंगे। यह कदम खिलाड़ियों के स्वास्थ्य और फिटनेस को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। टॉप्स योजना के कोर समूह में इस बार 179 खिलाड़ियों से घटाकर 94 खिलाड़ियों को शामिल किया गया है। वहीं, डेवलपमेंटल सूची में 112 खिलाड़ियों को रखा गया है। इस योजना का उद्देश्य ओलंपिक खेलों के अगले चक्र में भारत के प्रदर्शन को और मजबूत बनाना है। खिलाड़ियों को विदेश में प्रशिक्षण और प्रतिस्पर्धा के दौरान प्रतिदिन 25 अमेरिकी डॉलर का भत्ता मिलेगा। साथ ही, कोर समूह के खिलाड़ियों को 50,000 रुपये और डेवलपमेंटल समूह के खिलाड़ियों को 25,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे। भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) के मिशन ओलंपिक सेल (एमओसी) के एक सदस्य ने बताया कि कोर समूह का मुख्य उद्देश्य 2028 के लॉस एंजिलिस ओलंपिक की तैयारी करना है, जबकि डेवलपमेंटल समूह 2032 और 2036 ओलंपिक के लिए तैयार किया जा रहा है। इसके लिए नियमित शारीरिक और मानसिक परीक्षण अनिवार्य होंगे। ये परीक्षण खिलाड़ियों के स्वास्थ्य को ट्रैक करेंगे और चोटों की संभावना को कम करने में मदद करेंगे। इस बार कोर सूची में कई चौंकाने वाले बदलाव भी हुए हैं। कोर सूची में पुरुष मुक्केबाजों का नाम नहीं है, जबकि एथलेटिक्स में तीन ही खिलाड़ियों को जगह मिली है। बैडमिंटन खिलाड़ियों के श्रीकांत और अश्विनी पोनप्पा के अलावा भारत के शीर्ष रैंकिंग एकल खिलाड़ी सुमित नागल को भी बाहर किया गया है। हालांकि, तीरंदाज दीपिका कुमारी और भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने कोर सूची में जगह बनाई है। दीपिका कई बार ओलंपिक में नाकाम रही हैं, लेकिन पेरिस ओलंपिक में वह नॉकआउट चरण तक पहुंची थीं। मीराबाई चानू, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीता था, अब पेरिस में चौथे स्थान पर रही थीं। दोनों खिलाड़ियों की उम्र 30 पार हो चुकी है, लेकिन वे अपनी फिटनेस को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही हैं।