एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को वक्फ विधेयक को लेकर केंद्र सरकार को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने इस विधेयक के मौजूदा स्वरूप पर गहरी चिंता जताई और कहा कि अगर इसे इसी रूप में पारित किया गया तो इससे देश में सामाजिक अस्थिरता पैदा हो सकती है और मुस्लिम समुदाय इसे पूरी तरह से नकार देगा। ओवैसी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान यह बयान दिया। उन्होंने कहा, “मैं सरकार को आगाह कर रहा हूं कि यदि वक्फ विधेयक इसी रूप में लाया गया, तो इससे देश में सामाजिक अस्थिरता का माहौल बनेगा। पूरा मुस्लिम समुदाय इसे खारिज कर देगा। इसके परिणामस्वरूप कोई मुस्लिम संपत्ति नहीं बच पाएगी।”
ओवैसी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपनी बात रखते हुए इसे 80 और 90 के दशक के समय की ओर देश को वापस ले जाने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों और संपत्तियों से जुड़ा है, और इसे लेकर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता। ओवैसी ने कहा, “एक गौरवान्वित मुस्लिम के रूप में, मैं अपनी मस्जिद और दरगाह का एक इंच भी नहीं लेने दूंगा। यह मेरी संपत्ति है। वक्फ मेरे लिए उपासना का रूप है, और इसे मैं किसी भी स्थिति में खोने नहीं दूंगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि वह वक्फ (संशोधन) विधेयक के अध्ययन के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सदस्य हैं। जेपीसी ने पिछले सप्ताह बहुमत से इस विधेयक पर अपनी रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। ओवैसी के अनुसार, इस विधेयक को लेकर उनकी पार्टी और मुस्लिम समुदाय सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ खड़े होंगे, क्योंकि यह उनके धार्मिक अधिकारों और संपत्तियों पर संकट ला सकता है।
इसके साथ ही, ओवैसी ने केंद्र सरकार पर विदेश नीति में समझौता करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि भारत ‘नरसंहार समझौते’ (जेनोसाइड कन्वेंशन) का पक्षकार है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फलस्तीन में हो रहे नरसंहार पर चुप्पी साधे हुए हैं। ओवैसी ने कहा, “लाखों फलस्तीनी मारे गए हैं और हजारों घायल हुए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी इस पर कुछ नहीं बोलते। प्रधानमंत्री यूक्रेन में युद्ध को रोकने की बात करते हैं, लेकिन फलस्तीन में हो रही हिंसा और नरसंहार पर उनकी चुप्पी साफ तौर पर चिंता का विषय है।”
ओवैसी ने यह भी सुझाव दिया कि भारतीय सरकार को फलस्तीन में गाजा के क्षेत्र में स्वास्थ्य क्षेत्र के निर्माण में सहायता करने के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और साथ ही फलस्तीनियों को छात्रवृत्ति के लिए भारत आमंत्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को फलस्तीन के लोगों के समर्थन में ठोस कदम उठाने चाहिए और अपनी विदेश नीति को फलस्तीन के पक्ष में मजबूत करना चाहिए।
इस बयान में ओवैसी ने सरकार से न केवल वक्फ विधेयक को लेकर, बल्कि विदेश नीति और मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है, जो उनकी राजनीतिक दिशा और मुस्लिम समुदाय के प्रति उनके समर्थन को स्पष्ट करती है।