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बीपीएससी अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज, प्रशांत किशोर ने सरकार की लापरवाही और कार्यशैली पर उठाए सवाल

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Lathi charge on BPSC candidates: Prashant Kishore raised questions on the working style of the government

बीपीएससी अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज के बाद इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है। इस घटना के बाद बीपीएससी अभ्यर्थियों के एक प्रतिनिधि मंडल ने जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर से मुलाकात की। प्रशांत किशोर ने इस घटना पर कड़ा प्रहार करते हुए इसे लोकतंत्र के लिए शर्मनाक करार दिया। प्रशांत किशोर ने कहा, “लोकतंत्र में किसी भी प्रकार का लाठीचार्ज निंदनीय है। लेकिन बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार का यह स्वाभाव बन गया है कि जब भी कोई लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने आता है, सरकार का सबसे आसान तरीका लाठीचार्ज करना होता है। मैं इस घटना की घोर निंदा करता हूं। उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी अधिकारी ने इस घटना में लाठीचार्ज का आदेश दिया है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। प्रशांत किशोर ने बताया कि इस लाठीचार्ज में एक बच्चे का पैर टूट गया है और जन सुराज की ओर से हरसंभव मदद की जा रही है। इस पूरी घटना के केंद्र में नॉर्मलाइजेशन को लेकर उठा विवाद है। प्रशांत किशोर ने कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण यह मामला उलझा। उन्होंने आरोप लगाया कि समय रहते सरकार ने नॉर्मलाइजेशन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की, जिससे यह समस्या पैदा हुई। उन्होंने कहा, “जब अभ्यर्थियों ने अपनी आवाज उठाई और घटना हो गई, तब सरकार लिखित में सफाई दे रही है कि नॉर्मलाइजेशन का कोई मामला नहीं है। अब सरकार कह रही है कि एक ही समय, एक ही पेपर पर परीक्षा होगी। इससे साफ होता है कि सरकार की लापरवाही ने इस विवाद को जन्म दिया। प्रशांत किशोर ने इस घटना को बिहार सरकार की कार्यशैली का प्रतीक बताते हुए कहा कि सरकार समय रहते किसी भी काम को सही तरीके से पूरा नहीं करती, जिसके परिणामस्वरूप ऐसी घटनाएं होती हैं। उन्होंने कहा, “यह घटना न केवल सरकार की उदासीनता बल्कि प्रशासनिक विफलता को भी उजागर करती है। सरकार को समय रहते संवाद और समाधान का प्रयास करना चाहिए था। अब अभ्यर्थियों का गुस्सा सही है और उनकी मांगें जायज हैं। इस घटना के बाद बिहार में राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। विपक्षी दल भी इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और अभ्यर्थियों को न्याय देने के लिए क्या ठोस उपाय किए जाते हैं।

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