बिहार: सुपौल जिले के भीमनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत कटैया पॉवर हाउस में शनिवार की देर रात नकली नोटों के साथ बीएसएपी 12वीं बटालियन का जवान अमरेंद्र कुमार यादव पकड़ा गया। 36 घंटे से भी अधिक लंबी पूछताछ के बाद अमरेंद्र को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। शनिवार की रात पुलिस को उसके पास 500 के कुल 123 नकली नोट यानी कुल 61 हजार 500 रुपए मिले। अमरेंद्र 2010 बैच का सिपाही है और मूल रूप से मधेपुरा जिले के पथराहा वार्ड चार का निवासी है। भीमनगर थानाध्यक्ष दीपक कुमार को गुप्त सूचना मिली थी कि पॉवर हाउस में नकली नोटों की लेनदेन हो रही है।
जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अमरेंद्र को मौके से हिरासत में लिया। तलाशी में उसकी जेब से 500 के 37 नोट यानी 18 हजार 500 रुपए मिले। वही उसके बैठने की जगह बोरे के नीचे से 500 के 40 नोट यानी 20 हजार रुपए मिले। इसके अलावा कटैया गांव के शैलेश कुमार सिंह ने पुलिस को 500 के 46 नोट यानी 23 हजार रुपए सौंपे। यह रुपए अमरेंद्र ने जेसीबी भाड़ा के रूप में उन्हें दिए थे। तीनों जगहों से कुल 123 नोट यानी 61 हजार 500 रुपए बरामद हुए। प्रथम दृष्टया संदेह होने पर पुलिस ने नजदीकी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की भीमनगर शाखा के प्रबंधक को बुलाया। इसके बाद उनकी जांच में सभी जब्त नोट नकली पाए गए। नकली नोटों के बरामदगी की पुष्टि होते ही मामले की गंभीरता को देखते हुए आर्थिक अपराध इकाई, आईबी, स्पेशल ब्रांच, एनआईए, एसएसबी सहित सुपौल एसपी और वीरपुर एसडीपीओ भी जांच में जुटे हैं।
बताया जा रहा है कि शैलेश को पहले भी अमरेंद्र द्वारा दिए गए नोटों पर शक हुआ था। बैंक में जमा करने पर वे नकली निकले। इस बार उसने समय पर पुलिस को सूचना दी। इससे बड़ी गिरफ्तारी हो सकी। बीते 28 मई को अमरेंद्र ने बीके पेट्रोलियम पंप पर पांच हजार नकद दिए थे। यह नोट भी नकली नोट थे। इधर, एजेंसियों की जांच में पता चला कि अमरेंद्र 21 मई को सुबह 10:26 बजे नेपाल गया था। उसके वाहन के दस्तावेजों से इसकी पुष्टि हुई। इसके बाद उसके नेपाल कनेक्शन की जांच भी शुरू हो गई है। अमरेंद्र के पास से एक काली स्कॉर्पियो (बीआर 01 एफबी 331) जब्त की गई। उस पर ”बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन संघ के क्षेत्रीय मंत्री” का बोर्ड लगा था। गाड़ी मधेपुरा के चंडिस्थान निवासी सुनील कुमार के नाम रजिस्टर्ड है। पुलिस इस फर्जी पद के इस्तेमाल और नकली नोटों की तस्करी की जांच कर रही है।
पकड़े गए जवान अमरेंद्र से लगातार 36 घंटे से भी अधिक पूछताछ हुई। मोबाइल कॉल डिटेल और डेटा रिकॉर्ड खंगाले गए। कई संदिग्ध संपर्क सामने आए। पूछताछ में नेपाल के एक व्यक्ति की पहचान हुई है, जो इस रैकेट से जुड़ा हो सकता है। गिरफ्तारी के बाद भीमनगर, वीरपुर और रतनपुर थाना की संयुक्त टीम ने अमरेंद्र के तीन ठिकानों पर छापेमारी की। पुलिस को शक है कि यह एक संगठित गिरोह है, जिसकी जड़ें नेपाल तक फैली हैं। हालांकि जांच एजेंसियों से जुड़े अधिकारी खुल कर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। बहरहाल, भीमनगर थाना में कांड संख्या 37/25 दर्ज किया गया है। सोमवार को दोपहर बाद अमरेंद्र को न्यायालय में पेश किया गया। इसके बाद उसे जेल भेज दिया गया। वही इस बाबत वीरपुर एसडीपीओ सुरेंद्र कुमार ने बताया कि मामले की गहराई से जांच हो रही है। कई बिंदुओं पर काम चल रहा है। अन्य संलिप्त लोगों की पहचान के लिए छानबीन जारी है।