Home बिहार भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा और शाहाबाद को कमिश्नरी बने -अखिलेश

भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा और शाहाबाद को कमिश्नरी बने -अखिलेश

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Bhojpuri should get constitutional status and Shahabad should become commissionerate- Akhilesh

विक्रमगंज (रोहतास)- शाहाबाद महोत्सव आयोजन समिति ने प्रधानमंत्री के विक्रमगंज आगमन का स्वागत करते हुए भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कर इसे संवैधानिक दर्जा देने तथा शाहाबाद प्रक्षेत्र को बिहार का 10वां कमिश्नरी बनाने की मांग की है। सोमवार को बिक्रमगंज स्थित होटल राणा सागर में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान समिति के संयोजक अखिलेश कुमार ने कहा कि पीएम का शाहाबाद की धरती पर बिक्रमगंज में आगामी 30 नवंबर के आगमन को लेकर यहां के लोगों में उम्मीदें जगी है कि उनके द्वारा इस क्षेत्र के “माई भाषा भोजपुरी” को आठवीं अनुसूची में शामिल कर उसे संवैधानिक दर्जा देंगे की घोषणा करेंगे। साथ हीं साथ मंच पर उपस्थित बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के माध्यम से शाहाबाद को बिहार के 10वां कमिश्नरी बनाने की घोषणा भी कराएंगे।

अखिलेश कुमार ने अपने कहा है कि आजादी के पहले से बिहार में कुल 11 जिला था इसमें 9 जिलों को कमिश्नरी बना दिया गया, लेकिन शाहाबाद को आजतक कमिश्नरी का दर्जा नहीं मिला। उन्होंने कहा कि शाहाबाद प्रक्षेत्र बिहार का सबसे साक्षर जिला के साथ वर्तमान मुंगेर सारण दोनों कमिश्नरी से भी क्षेत्रफल और आबादी में अधिक है। साक्षरता दर तथा राजस्व देने में भी अव्वल है। इसके बावजूद इस क्षेत्र के साथ अभी तक नाइंसाफी हुई है।

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अखिलेश कुमार ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी जहां भी देश विदेश के भोजपुरी भाषी क्षेत्र में जाते हैं तो भाषण की शुरुआत तो भोजपुरी में जरूर करते हैं, लेकिन उसे अभी तक संवैधानिक दर्जा नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन गृह मंत्री व वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 12 नवंबर 2016 को घोषणा किए थे कि भोजपुरी संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने वाला देश का 23वीं भाषा होगा, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी सैद्धांतिक सहमति दे चुके हैं और आदेश भी जल्द जारी हो जाएगा। लेकिन इस घोषणा के करीब 10 वर्ष बाद भी इसे संवैधानिक दर्जा नहीं मिल पाया है, जिससे भोजपुरी भाषियों में निराशा है।

शाहाबाद महोत्सव आयोजन समिति के संयोजक ने कहा कि शाहाबाद प्रक्षेत्र का ऐतिहासिक सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत बड़ा हीं गौरवशाली रहा है और यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, यहां तक कि भगवान राम को शस्त्र चलाने तथा और शास्त्र की शिक्षा इसी शाहाबाद की धरती पर महर्षि विश्वामित्र ने दिया था, इसके बावजूद इसे न तो रामायण सर्किट से जोड़ा गया और न हीं यहां पर्यटकीय सुविधाएं विकसित की गई। जबकि देश के प्रमुख पर्यटन स्थल सारनाथ-वाराणसी तथा बोधगया-राजगीर के बिचोबीच यह क्षेत्र अवस्थित है। जहां पर्यटकीय सुविधाएं विकसित करने से एक तरफ ‘लोकल को भोखल ‘ बनाने का सपना साकार होगा और स्वरोजगार के दरवाजे खुलेंगे

वहीं दूसरी तरफ हमारे गौरवशाली ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत से देश दुनिया को अवगत होने का भी अवसर मिलेगा। शिक्षाविद् अमरेन्द्र राजेश ने कहा कि भारत हीं नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भोजपुरी भाषी लोगों ने अपनी भाषा को स्थापित किया है लेकिन दुर्भाग्य है कि हमें आजतक अपने देश में हीं इसे संवैधानिक अधिकार नहीं मिल पाया है। उन्होंने शाहाबाद को कमिश्नरी बनाने की मांग की, ताकि यहां विकास के गति को बल मिले।प्रेस वार्ता को भोजपुरी छात्र संघ के सह संयोजक सोहित कुमार सिन्हा, शोधार्थी रवि प्रकाश सुरज, अनुरुद्ध सिंह, स्यंदन सुमन, राजद नेता विमल कुमार सिंह, राष्ट्रीय लोक मोर्चा के के प्रदेश उपाध्यक्ष हरिचरण कुशवाहा, प्रवीण सिंह, भाजपा नेता सुभाष तिवारी, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अय्यूब खान, ऋशुराज आदि भी शामिल थे।

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