कांग्रेस और भाजपा के बीच यूएसएड फंडिंग विवाद ने राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी है। कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें कहा गया कि भाजपा ने ‘अमेरिका से झूठी खबरें’ फैलाकर देश में भ्रम की स्थिति पैदा की है और ‘राष्ट्र-विरोधी कार्य’ किया है। कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर को यह स्पष्ट करना चाहिए कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क बार-बार भारत का ‘अपमान’ कर रहे हैं, तो सरकार चुप क्यों है?
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर की खबर पूरी तरह से फर्जी निकली, जिसे भाजपा ने लेकर हंगामा किया था। उन्होंने बताया कि 2022 में 21 मिलियन डॉलर का फंड भारत के लिए नहीं था, बल्कि यह बांग्लादेश के लिए था। रमेश ने कहा कि यह खबर एक भ्रम थी, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क दोनों ने गलत तरीके से भारत और बांग्लादेश को लेकर बातें की थीं। इसके अलावा, रमेश ने भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमित मालवीय पर भी झूठ फैलाने का आरोप लगाया, जबकि अन्य भाजपा नेताओं ने इस फर्जी खबर को और बढ़ावा दिया।
कांग्रेस ने यह भी बताया कि यूएसएड के फंडिंग विवाद का असली मुद्दा वाशिंगटन स्थित कंसोर्टियम फॉर इलेक्शन्स एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग (सीईपीपीएस) से जुड़ा हुआ है, जिसे 486 मिलियन अमेरिकी डॉलर मिलने थे। इसमें से 21 मिलियन डॉलर का फंड भारत के लिए नहीं, बल्कि बांग्लादेश के लिए था। कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया कि यह गलतफहमी सिर्फ डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क की तरफ से पैदा की गई थी, जो बांग्लादेश और भारत के बीच भ्रमित हो गए थे।
इस बीच, भाजपा ने कांग्रेस के इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि राहुल गांधी जैसे नेता विदेशी ताकतों के साथ मिलकर भारत को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा ने कांग्रेस के नेताओं को ‘देशद्रोही’ तक करार दिया और उनका कहना था कि कांग्रेस सिर्फ भारत के खिलाफ विदेशी ताकतों का समर्थन कर रही है।
इस विवाद में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क के बार-बार भारत के अपमान पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें। कांग्रेस ने पूछा कि क्या यह सरकार का स्वाभिमान बचाने की कोशिश नहीं है या फिर यह सिर्फ एक कारोबारी हित में समझौता किया गया है?
कांग्रेस ने सरकार से यह भी मांग की है कि भारत में विभिन्न विकास एजेंसियों, सहायता तंत्रों और बहुपक्षीय मंचों से प्राप्त धन पर एक श्वेत पत्र जारी किया जाए ताकि जनता को इस मुद्दे पर सही जानकारी मिल सके।