केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री सह कोडरमा सांसद अन्नपूर्णा देवी ने हेमंत सरकार के बजट पर तंज कसते हुए कहा कि यह आंकड़ों की ऐसी भूलभुलैया है जिसे समझने के लिए शायद अर्थशास्त्रियों को भी माइक्रोस्कोप चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने इस बजट को “कागज़ी विकास और ज़मीनी विनाश” करार देते हुए कहा कि हेमंत सरकार ने जनता को फिर से लच्छेदार भाषणों और खोखले वादों के हवाले कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने रोजगार पर खूब बातें कीं, लेकिन नौकरियों का कोई रोडमैप पेश नहीं किया।
केंद्रीय मंत्री ने तंज कसते हुए कहा कि “शायद रोज़गार की घोषणाएं ‘अदृश्य स्याही’ से लिखी गई हैं, जो आम जनता को कभी दिखेगी ही नहीं!” युवा इंतजार कर रहे हैं कि नौकरी आएगी या सिर्फ़ सरकारी बयानबाज़ी।उन्होंने चुनाव के दौरान इंडी गठबंधन को वायदे की याद दिलाते हुए कहा कि चुनावी सभा में इंडी गठबंधन के नेतागण 450 रुपये में रसोई गैस देने का ढिंढोरा पीट रहे थे, लेकिन बजट में इस पर चुप्पी साध ली गई। गृहणियों ने उम्मीद की थी कि सरकार उनके किचन का बोझ हल्का करेगी, लेकिन अब वे समझ गईं कि हेमंत सोरेन सरकार का वादा सिर्फ़ चुनावी मंच तक ही सीमित था।
उन्होंने कहा कि झारखंड की आधी से ज्यादा आबादी खेती पर निर्भर है, लेकिन बजट में कृषि के लिए महज़ 4587.66 करोड़ दिए गए। यानी, किसानों के लिए बजट में उतनी ही अहमियत है, जितनी हेमंत सरकार में सुशासन की! “ये बजट किसानों के लिए वही ‘खाली मटका’ है, जिसे पीटने पर खूब शोर तो होता है, लेकिन अंदर कुछ नहीं निकलता!”
केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि ग्रामीण विकास, ऊर्जा, पुलिस, आपदा प्रबंधन, शहरी विकास, कृषि, जल संसाधन, परिवहन और पर्यावरण जैसे विभागों का बजट घटा दिया गया। उन्होंने तीखे लहजे में सवाल पूछा कि सरकार कैसे विकास करना चाहती है, लेकिन बिना बिजली, बिना सड़क, बिना पुलिस, और बिना जल संसाधन के!”
श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि बुजुर्गों की वृद्धा पेंशन और दिव्यांगों की सहायता राशि एक लंबे समय से बंद है, लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। सरकार से जब इस बारे में पूछा जाता है, तो जवाब आता है: “तकनीकी कारणों से रुकी हुई है!” सवाल ये है कि ये तकनीकी कारण हैं, या सरकार की तकनीकी बेरुखी?
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में न तो युवाओं के लिए रोजगार की ठोस योजना है, न किसानों के लिए राहत, न ही महिलाओं और गरीबों के लिए ठोस प्रावधान। उन्होंने इसे जनता के साथ “विश्वासघात” बताया और सरकार से जवाब मांगा।