कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनकी पत्नी पार्वती को मुडा (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) जमीन आवंटन मामले में क्लीन चिट मिल गई है। लोकायुक्त पुलिस ने यह साफ किया है कि आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले, जिससे उन पर आरोप साबित नहीं किए जा सके। इस मामले में एफआईआर 27 सितंबर को दर्ज की गई थी, और अब पुलिस ने अपनी अंतिम रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंप दी है।
यह मामला 50:50 योजना से जुड़ा हुआ है, जिसे 2009 में लागू किया गया था। इस योजना के तहत, जो लोग अपनी ज़मीन खोते थे, उन्हें विकसित भूमि के 50% का हक मिलता था। हालांकि, इस योजना को 2020 में भाजपा सरकार ने बंद कर दिया था, लेकिन आरोप था कि मुडा ने योजना के तहत भूमि अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा। आरोप यह भी था कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को इस योजना का लाभ मिला, और उनके लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया।
सिद्धारमैया की पत्नी को 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि मुडा द्वारा अधिग्रहित की गई थी, और इसके बदले में उन्हें एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गई थीं। यह भूमि मुख्यमंत्री की पत्नी को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी द्वारा 2010 में उपहार स्वरूप दी गई थी। आरोप था कि इस भूमि का अधिग्रहण बिना उचित प्रक्रिया के किया गया।
हालांकि, लोकायुक्त पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले, जिसके कारण आरोपों को खारिज कर दिया गया। पुलिस ने कहा कि इस मामले में आगे की जांच की जाएगी, और एक अतिरिक्त रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंपे जाने का निर्णय लिया गया है।