प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, अजमेर शरीफ पर चादर भेजकर श्रद्धांजलि अर्पित की। यह चादर प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से 3 जनवरी 2025 को 811वें उर्स के अवसर पर भेजी गई। इस मौके पर पीएम मोदी ने अपने संदेश में देश में शांति, समृद्धि और भाईचारे की कामना की। प्रधानमंत्री के संदेश में लिखा गया, “ख्वाजा साहब ने अपने उपदेशों से समाज को मानवीय मूल्यों और सहिष्णुता का संदेश दिया। उनके विचार आज भी समाज को प्रेरणा देते हैं।” पीएम मोदी हर साल उर्स के मौके पर चादर भेजते हैं, जिसे केंद्रीय मंत्री या अन्य सरकारी प्रतिनिधि दरगाह पर चढ़ाते हैं। मगर इस बार हिंदू सेना ने प्रधानमंत्री द्वारा चादर भेजने पर आपत्ति जताई है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री को केवल हिंदू धार्मिक स्थलों पर ध्यान देना चाहिए। उनका आरोप है कि यह कदम राजनीतिक लाभ लेने के लिए किया गया है। बता दें कि विष्णु गुप्ता ने एक बयान में कहा, “प्रधानमंत्री एक धर्मनिरपेक्ष देश का नेतृत्व करते हैं, लेकिन हिंदू धार्मिक स्थलों की उपेक्षा और दूसरे धर्मों के प्रतीकों को बढ़ावा देना उचित नहीं है। यह हिंदू समाज की भावनाओं को आहत करता है।” वहीं, कई सामाजिक संगठनों और धार्मिक नेताओं ने प्रधानमंत्री के इस कदम की सराहना की। उनका कहना है कि यह देश में सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण को प्रकट करता है। अजमेर दरगाह के गद्दीनशीन और अनुयायियों ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया और इसे धार्मिक सद्भाव की मिसाल बताया। अब पीएम मोदी के इस कदम पर राजनीतिक दलों की भी प्रतिक्रियाएँ आई हैं। कांग्रेस ने इसे एक रूटीन प्रक्रिया बताया और कहा कि हर प्रधानमंत्री ने देश के सभी धार्मिक स्थलों के प्रति आदर दिखाया है। वहीं, भाजपा ने इसे “सबका साथ, सबका विकास” की भावना के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया