प्रयागराज में जारी महाकुंभ इस समय दुनियाभर के श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित कर रहा है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं, और अब तक 56 करोड़ से अधिक लोग पवित्र डुबकी लगा चुके हैं। यह आयोजन धार्मिक आस्था का प्रतीक बन चुका है, लेकिन इस भारी भीड़ के बीच जल प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट में बताया कि गंगा और यमुना का जल फिलहाल स्नान के लायक नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि संगम समेत कई अन्य स्थानों पर फेकल कोलीफॉर्म (खतरनाक बैक्टीरिया) का स्तर काफी बढ़ चुका है। यह स्तर 2,500 यूनिट प्रति 100 मिलीलीटर से अधिक है, जो गंभीर प्रदूषण का संकेत देता है और इसे स्नान के लिए अनुपयुक्त बनाता है। इस वृद्धि का मुख्य कारण महाकुंभ में रोजाना बड़ी संख्या में लोगों का स्नान करना है, जिससे जल में गंदगी का स्तर और बढ़ गया है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषित जल से जलजनित बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ सकता है। फेकल कोलीफॉर्म से दूषित पानी में नहाने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं जैसे दस्त, उल्टी, और पेट में ऐंठन हो सकती है। इसके अलावा, दूषित जल के संपर्क से त्वचा और आंखों में संक्रमण का भी खतरा होता है, जिससे चकत्ते, आंखों में जलन और फंगल इंफेक्शन हो सकता है। जिनकी इम्यून सिस्टम कमजोर है, उन्हें फेफड़ों में संक्रमण का भी खतरा हो सकता है। इसीलिए संगम में डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य के प्रति सचेत किया जा रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि महाकुंभ के दौरान प्रदूषण सिर्फ तीर्थयात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी बड़ा खतरा बन सकता है। गंगा पर निर्भर स्थानीय लोग पानी के स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें ताकि संक्रमण से बचा जा सके।