भोपाल गैस त्रासदी की काली छाया अब भी मंडरा रही है, साल 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकली जहरीली गैस ने हजारों लोगों की जान ले ली थी और लाखों लोगों को बीमार कर दिया था। इस त्रासदी के बाद भोपाल शहर कभी पहले जैसा नहीं रहा। त्रासदी के 40 साल बाद भी इस घटना के घाव अभी तक पूरी तरह से नहीं भर पाए हैं। इस त्रासदी का एक बड़ा कारण यूनियन कार्बाइड कारखाने में पड़ा जहरीला कचरा भी था। यह कचरा पिछले चार दशकों से भोपाल में ही पड़ा हुआ था और लोगों की सेहत के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ था। लेकिन अब इस जहरीले कचरे को हटाने का फैसला लिया गया है। बीते दिनों, भोपाल से 12 बड़े कंटेनरों में इस जहरीले कचरे को भरकर पीथमपुर भेजा गया। इस पूरे ऑपरेशन को बहुत ही सावधानी से अंजाम दिया गया। कंटेनरों को रात के अंधेरे में निकाला गया और इनके साथ पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मी भी थे। इस जहरीले कचरे को भोपाल से पीथमपुर तक पहुंचाने के लिए एक विशेष रास्ता बनाया गया था, जिसे ग्रीन कॉरिडोर कहते हैं। इस रास्ते पर किसी भी तरह की रुकावट नहीं थी, ताकि कंटेनर बिना किसी देरी के अपने गंतव्य तक पहुंच सकें। लेकिन इस ग्रीन कॉरिडोर की वजह से रास्ते में कई जगह जाम लग गया। पीथमपुर पहुंचने के बाद इस जहरीले कचरे का निपटान किया जाएगा। इसके लिए एक विशेष प्लांट बनाया गया है, जहां इस कचरे को सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जाएगा। 40 सालों से भोपाल में पड़ा यह जहरीला कचरा लोगों के लिए एक बड़ा खतरा था। यह कचरा जमीन और पानी को प्रदूषित कर रहा था और लोगों की सेहत को भी नुकसान पहुंचा रहा था। इसलिए इसे हटाना बहुत जरूरी था। इस फैसले के बारे में लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोग इस फैसले से खुश हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे भोपाल शहर सुरक्षित हो जाएगा। लेकिन कुछ लोग इस फैसले से नाराज भी हैं क्योंकि उन्हें डर है कि यह जहरीला कचरा पीथमपुर के लोगों के लिए भी खतरा बन सकता है।