लोकसभा में ‘One Nation, One Election’ को लेकर सरकार ने विधेयक पेश कर दिया है। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह बिल सदन में रखा। इस विधेयक को लेकर विपक्षी दलों में विरोध की आवाजें तेज हो गई हैं। कांग्रेस, टीएमसी, सपा सहित कई दलों ने बिल का कड़ा विरोध किया।
सपा ने बताया तानाशाही थोपने की कोशिश
समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा, “इस बिल को लाने की जरूरत क्या है? यह तो एक तरह से तानाशाही थोपने की कोशिश है।” विपक्षी नेताओं का मानना है कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है।
जेडीयू ने किया समर्थन
वहीं, सरकार को अपने अहम सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का समर्थन मिला है। जेडीयू के नेता संजय कुमार झा ने कहा कि, “हम हमेशा से कहते रहे हैं कि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ होने चाहिए। इससे समय और खर्च की बचत होगी।”
इतिहास पर नजर
संजय कुमार झा ने कहा कि आजादी के बाद शुरुआत में चुनाव एक साथ ही होते थे।
1967 के बाद यह सिलसिला टूटा, जब कांग्रेस ने कई राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाकर सरकारों को बर्खास्त किया।
उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव से सरकार हमेशा इलेक्शन मोड में रहती है, जिससे विकास कार्यों पर असर पड़ता है और भारी खर्च होता है।
विपक्ष का तर्क
विपक्षी दलों का कहना है कि ‘एक देश, एक चुनाव’ से क्षेत्रीय राजनीति और लोकतांत्रिक संतुलन पर असर पड़ सकता है।
सरकार और विपक्ष के बीच इस विधेयक को लेकर टकराव जारी है।