मुंबई हमले की साजिश रचने के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की राह अब पूरी तरह से साफ हो चुकी है। हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में अहम फैसला सुनाया, जिससे राणा का भारत प्रत्यर्पण लगभग तय हो गया है। अमेरिका के विदेश विभाग ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि वह इस संबंध में अगले कदमों का मूल्यांकन कर रहे हैं। विदेश विभाग ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि ‘सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के मद्देनजर और अमेरिकी कानून के अनुरूप, विदेश विभाग इस मामले में अगले कदमों का मूल्यांकन कर रहा है।’ इससे यह संकेत मिलता है कि राणा का भारत प्रत्यर्पण अब सिर्फ एक औपचारिकता भर रह गया है।
एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की टीम, जो इस मामले की जांच कर रही है, 30 जनवरी को अमेरिका जाने की योजना बना सकती है। चार सदस्यीय एनआईए टीम राणा के प्रत्यर्पण प्रक्रिया को तेज करने के लिए अमेरिका भेजी जाएगी। एनआईए के अधिकारियों ने इस यात्रा के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को आवश्यक सूचनाएं प्रदान कर दी हैं। एनआईए की टीम में दो वरिष्ठ अधिकारी, आईजी और डीआईजी के पद पर कार्यरत, और दो जूनियर अधिकारी शामिल होंगे। इसके अलावा, तिहाड़ जेल प्रशासन ने भी तहव्वुर राणा के लिए उच्च सुरक्षा वाला विशेष जेल वार्ड बनाने की तैयारी शुरू कर दी है, ताकि उसकी सुरक्षा और न्यायिक प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके।
तहव्वुर राणा, जो पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, पहले पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के तौर पर कार्यरत था। वह 1990 के दशक में कनाडा चला गया और वहीं की नागरिकता प्राप्त की। फिर राणा ने अमेरिका में शिकागो में एक इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म खोली। राणा की संलिप्तता का मुख्य मामला 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले से जुड़ा हुआ है, जब उसने डेविड हेडली के साथ मिलकर इस हमले की साजिश रची। हेडली, जो खुद इस हमले का दोषी है, ने राणा की मदद से मुंबई में आतंकवादी गतिविधियों के लिए रेकी की थी। हेडली को बाद में अमेरिका में गिरफ्तार किया गया, और उससे हुई पूछताछ में राणा की भूमिका का खुलासा हुआ।
तहव्वुर राणा को 2009 में अमेरिकी जांच एजेंसियों ने गिरफ्तार किया था, और तब से वह अमेरिका में कानूनी उपायों के जरिए अपना प्रत्यर्पण रोकने की कोशिश कर रहा था। उसने विभिन्न कानूनी दलीलों का सहारा लिया, लेकिन उसे हर मोर्चे पर निराशा ही हाथ लगी। हाल ही में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने भी राणा की याचिका को खारिज कर दिया, जिससे उसकी भारत प्रत्यर्पण प्रक्रिया को एक निर्णायक मोड़ मिला।
राणा की भूमिका इस आतंकवादी हमले में अत्यंत महत्वपूर्ण रही है, क्योंकि वह और डेविड हेडली दोनों मिलकर मुंबई हमले की पूरी साजिश को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार थे। राणा का योगदान इस हमले को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम देने में था, जिसमें कई निर्दोष लोगों की जानें गई थीं। अब भारत को उम्मीद है कि राणा के प्रत्यर्पण के बाद उसे भारतीय न्यायपालिका के सामने पेश किया जाएगा, और मुंबई हमले के लिए उसे न्याय मिलेगा।
इस मामले में भारत सरकार और एनआईए की कड़ी मेहनत के परिणामस्वरूप तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण अब एक बड़ी सफलता की ओर बढ़ रहा है, और भारतीय नागरिकों को इस न्याय की प्रक्रिया का इंतजार है।