भारत में आज मकर संक्रांति का पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही इस शुभ दिन को नए संकल्पों, दान-पुण्य और खुशियों के त्योहार के रूप में देखा जाता है. इस बार का मकर संक्रांति और भी विशेष है क्योंकि प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान भी आज ही हो रहा है. आज तड़के 4 बजे से ही संगम तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. संत-महात्माओं, नागा साधुओं और विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों ने परंपरागत पेशवाई के साथ स्नान किया. भक्तों का मानना है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है. प्रशासन के मुताबिक, अब तक 1 करोड से अधिक श्रद्धालु अमृत स्नान कर चुके हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है. वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार और उज्जैन जैसे तीर्थस्थलों पर विशेष पूजा-अर्चना के साथ दान-पुण्य किया गया। इस मौके पर तिल-गुड़ के लड्डू, खिचड़ी और अन्य पारंपरिक व्यंजन तैयार किए गए, जो इस पर्व की खास पहचान हैं. देश के विभिन्न हिस्सों, खासकर गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पतंगबाजी की धूम देखी गई. अहमदाबाद और जयपुर के आसमान में हजारों रंग-बिरंगी पतंगें उड़ती नजर आईं, जिससे पूरा माहौल उत्साह से भर गया। बच्चे और युवा “काई पो छे” और “वो काटा!” के नारों के साथ पतंग उड़ाने में मग्न दिखे. मकर संक्रांति पर खिचड़ी दान की परंपरा को निभाते हुए विभिन्न मंदिरों, गुरुद्वारों और सामाजिक संगठनों ने ज़रूरतमंदों को भोजन वितरित किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी प्रयागराज में खिचड़ी भोज कार्यक्रम में हिस्सा लिया और संतों को सम्मानित किया. देश के अलग-अलग जगहों पर मेले का आयोजन किया गया है. पश्चिम बंगाल में ‘पौष संक्रांति’ और तमिलनाडु में ‘पोंगल’ के रूप में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है. मकर संक्रांति केवल एक धार्मिक त्योहार ही नहीं, बल्कि नए संकल्पों को अपनाने का भी अवसर है. इस दिन को लोग सकारात्मक ऊर्जा, परोपकार और नई आशाओं के साथ मनाते हैं.