महाकुंभ 2025 के पावन अवसर पर मशहुर फिल्म अभिनेत्री “ममता कुलकर्णी” ने गृहस्थ जीवन को त्यागते हुए आध्यात्मिक पथ अपना लिया. बता दें कि किन्नर अखाड़े में संन्यास दीक्षा लेने के बाद उन्हें नया नाम श्रीयामाई ममतानंद गिरि दिया गया. संगम तट पर विधिवत धार्मिक अनुष्ठान और पिंडदान के साथ उनकी दीक्षा प्रक्रिया पूरी की गई.
ममता कुलकर्णी गुरुवार को प्रयागराज स्थित कुंभ नगरी पहुंचीं. शुक्रवार सुबह सेक्टर-16 के संगम लोवर मार्ग स्थित किन्नर अखाड़ा शिविर में पहुंचकर उन्होंने संन्यास दीक्षा की प्रक्रिया आरंभ की. इस अवसर पर आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की उपस्थिति में धर्मध्वजा के नीचे उनका पट्टाभिषेक किया गया. जयकारों और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच करीब दो घंटे तक यह अनुष्ठान चला, जिसमें श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर गर्गाचार्य मुचकुंद और पीठाधीश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि जैसे प्रतिष्ठित संतों ने भाग लिया.
संगम तट पर हुए धार्मिक अनुष्ठानों में ममता कुलकर्णी का पिंडदान किया गया, जो उनके सांसारिक जीवन के अंत का प्रतीक था. इसके बाद शाम को किन्नर अखाड़े में पूजन और दीक्षा समारोह आयोजित किया गया, जिसमें उन्हें अखाड़े की धार्मिक परंपराओं के अनुसार महामंडलेश्वर की उपाधि से सम्मानित किया गया.
ममता कुलकर्णी ने संन्यास लेने के बाद कहा कि अब उनका जीवन धर्म और मानव सेवा को समर्पित रहेगा. संन्यास के साथ ही उनका नाम बदलकर श्रीयामाई ममतानंद गिरि रखा गया. आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उनके इस निर्णय की सराहना की और इसे आध्यात्मिक समाज के लिए प्रेरणादायक बताया.