संसद भवन परिसर में हुए कथित धक्का-मुक्की मामले के बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सख्त निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि अब से कोई भी राजनीतिक दल, सांसद या सांसदों का समूह संसद भवन के किसी भी प्रवेश द्वार पर धरना या प्रदर्शन नहीं कर सकेगा। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा,की संसद की गरिमा और लोकतांत्रिक परंपराओं को बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। संसद भवन के गेट पर किसी भी प्रकार का विरोध प्रदर्शन प्रतिबंधित रहेगा।” गृह मंत्री अमित शाह की बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर पर की गई टिप्पणी को लेकर विपक्षी दलों ने गुरुवार को विरोध मार्च निकाला। वहीं, भाजपा ने कांग्रेस पर बाबासाहेब के अपमान का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। जिससे आपसी विवाद बढ़ा वही नए संसद भवन के ‘मकर द्वार’ के पास सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसद आमने-सामने आए और जोरदार नारेबाजी हुई। इस दौरान धक्का-मुक्की के कारण भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत के चोटिल होने का आरोप लगाया गया। दूसरी ओर, कांग्रेस ने दावा किया कि भाजपा सांसदों ने उनके नेताओं मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और महिला सांसदों को रोका और उनके साथ धक्का-मुक्की की। आरोप का सिलसिला लगातार बढ़ता गया। नए संसद भवन में मकर द्वार पुराने भवन के प्रवेश द्वार पर स्थापित किया गया है। इसे भारतीय लोकतांत्रिक परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। वहीं नए संसद भवन में छह प्रवेश द्वार बनाए गए हैं, जिनमें से हर गेट भारतीय संसद के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक है। अश्व, गज और गरुड़ गेट: उपराष्ट्रपति, स्पीकर और प्रधानमंत्री के लिए खोला जाता है। वही यह घटना संसद की गरिमा और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर एक बार फिर सवाल खड़ा करती है। स्पीकर के आदेश के बाद अब यह देखना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।