केरल की एक 30 वर्षीय नर्स, जिनका नाम निम्मी जॉर्ज है, उनको यमन में एक हत्या के मामले में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई गई है। यह मामला भारत में चिंता का विषय बन गया है, और सरकार ने उनकी मदद के लिए हरसंभव कानूनी सहायता उपलब्ध कराने का वादा किया है। चलिए बताते है आपको की पूरा मामला क्या है, निम्मी जॉर्ज, जो पिछले छह वर्षों से यमन में एक निजी अस्पताल में काम कर रही थीं, पर उनपर एक यमनी नागरिक की हत्या का आरोप लगाया गया था। स्थानीय अदालत ने उन्हें अपराधी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई। हालांकि, निम्मी और उनके परिवार का कहना है कि वे निर्दोष हैं और उन्हें झूठा फंसाया गया है। खबर है कई विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि निम्मी को हर संभव कानूनी सहायता दी जाएगी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “हम इस मामले को उच्चतम स्तर पर उठा रहे हैं। यमन में हमारी दूतावास की टीम स्थानीय प्रशासन और निम्मी के वकीलों के संपर्क में है। निम्मी के परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील की है। उनके पिता, जॉर्ज थॉमस, ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमारी बेटी निर्दोष है। हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह उसे घर लाने के लिए हरसंभव प्रयास करें।” आपको बता दें की यमन में गृहयुद्ध की स्थिति है जिसके कारण कानूनी प्रक्रिया और भी मुस्किल हो गई है। भारत सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती वहां के राजनीतिक अस्थिरता और कानूनी व्यवस्था में हस्तक्षेप करने की सीमाएं हैं। इसके बावजूद, भारतीय दूतावास ने कहा है कि वे स्थानीय वकीलों की मदद से अपील करेंगे। अब ये मामला यह मामला अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का भी ध्यान आकर्षित कर रहा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने यमन सरकार से निम्मी को फांसी की सजा पर पुनर्विचार करने की अपील की है और निष्पक्ष जांच की मांग की है। इस खबर के सामने आने के बाद, खाड़ी देशों में काम कर रहे भारतीय समुदाय में चिंता बढ़ गई है। केरल में निम्मी के गांव में लोग प्रार्थना सभाएं कर रहे हैं और सरकार से उसकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं। भारत सरकार के प्रयासों और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच, निम्मी की किस्मत का फैसला आने वाले दिनों में होगा। इस बीच, भारत ने एक बार फिर अपने नागरिकों की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।