डोनाल्ड ट्रंप का शपथग्रहण: अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सोमवार को देश के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। यह आयोजन न केवल अमेरिका में बल्कि दुनियाभर में चर्चा का विषय है. “इनॉग्रेशन डे” के नाम से मशहूर यह दिन सत्ता हस्तांतरण की ऐतिहासिक परंपरा को दर्शाता है.
शपथग्रहण समारोह सत्ता परिवर्तन का प्रतीक है. यह दिखाता है कि अमेरिका में नेतृत्व बदल चुका है और अब नए राष्ट्रपति कार्यभार संभालेंगे. ट्रंप को नवंबर में ही चुनाव का विजेता घोषित किया गया था, लेकिन शपथग्रहण के बाद ही वह आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपति बनेंगे.
20 जनवरी को वॉशिंगटन डीसी में स्थित अमेरिकी संसद भवन के बाहर यह आयोजन होगा। परंपरा के अनुसार, यह दोपहर 12 बजे (स्थानीय समय) शुरू होगा. यदि इस दिन कोई बाधा उत्पन्न हो जाए, तो शपथग्रहण निजी तौर पर कराया जाता है, लेकिन सार्वजनिक समारोह अगले दिन आयोजित होता है.
- दिन की शुरुआत सेंट जॉन चर्च में प्रार्थना से होगी.
- सुबह 9:30 बजे कार्यक्रम की शुरुआत म्यूजिकल परफॉर्मेंस और ओपनिंग भाषण से होगी.
- उपराष्ट्रपति जेडी वैंस सबसे पहले शपथ लेंगे। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ब्रेट कैवेनॉ शपथ दिलाएंगे.
- इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप, चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स की उपस्थिति में दो बाइबल पर शपथ लेंगे.
शपथ के बाद ट्रंप राष्ट्रपति के रूप में अपना पहला संबोधन देंगे, जो उनके आगामी कार्यकाल की प्राथमिकताओं को रेखांकित करेगा. वैश्विक मुद्दों जैसे रूस-यूक्रेन संघर्ष, इस्राइल-हमास संघर्ष, चीन-भारत व्यापार संबंध, और नाटो गठबंधन पर उनके विचारों का सभी को इंतजार रहेगा. सोमवार को वॉशिंगटन डीसी में तापमान माइनस 11 डिग्री सेल्सियस तक गिरने की संभावना है. ऐसे में समारोह के दौरान ठंड बड़ी चुनौती होगी. ट्रंप ने इस वजह से समारोह स्थल बदलने का अनुरोध किया है. ट्रंप के पहले संबोधन पर दुनिया की नजरें इसलिए हैं क्योंकि वह अमेरिका की नीतियों और वैश्विक रिश्तों का खाका पेश करेंगे. उनके भाषण में आर्थिक, कूटनीतिक और सैन्य मुद्दों पर अहम घोषणाएं हो सकती हैं. यह समारोह न केवल अमेरिका की लोकतांत्रिक परंपराओं का हिस्सा है, बल्कि वैश्विक राजनीति और संबंधों के लिहाज से भी एक महत्वपूर्ण क्षण बन जाता है.