दिल्ली दंगों की साजिश से जुड़े मामले में आरोपी शरजील इमाम, उमर खालिद और अन्य की जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने जोरदार विरोध दर्ज कराया.
आरोपियों पर देरी का आरोप
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा और विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने न्यायमूर्ति नवीन चावला व शैलिंदर कौर की पीठ के समक्ष दलील दी कि मामले में देरी के लिए आरोपी खुद जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही में अभियोजन पक्ष ने कोई बाधा नहीं डाली, बल्कि आरोपी ही सुनवाई में देरी कर रहे हैं.
त्वरित सुनवाई कोई ‘फ्री पास’ नहीं
एएसजी शर्मा ने कहा कि त्वरित सुनवाई का अधिकार निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से जुड़े मामलों में यह कोई ‘फ्री पास’ नहीं हो सकता. अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि आरोपी ही जानबूझकर मुकदमे में देरी कर रहे हैं, जबकि अन्य आरोपी अपनी दलीलें पूरी कर चुके हैं.
53 लोगों की मौत का मामला
सरकारी पक्ष ने अदालत से आग्रह किया कि वह आरोपी की मंशा और हिंसा के नतीजों को ध्यान में रखे. उन्होंने कहा कि इस साजिश के कारण 53 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और 700 से अधिक लोग घायल हुए. अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता के तहत संगीन आरोप लगे हैं, जिनमें उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.
निचली अदालत के आदेश पर अपील
अभियोजन पक्ष ने अदालत को याद दिलाया कि यह केवल जमानत याचिका नहीं, बल्कि निचली अदालत द्वारा जमानत नकारे जाने के खिलाफ अपील है. इसलिए, हाईकोर्ट को इस मामले में सावधानीपूर्वक अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करना चाहिए.
सुनवाई 20 फरवरी को जारी रहेगी
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी को तय की है. इस दौरान आरोपियों की भूमिका और जमानत की मांग पर आगे की बहस होगी.