अयोध्या जिले के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव में युवा मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। निर्वाचन क्षेत्र में कुल 3,71,578 मतदाता हैं, जिनमें से लगभग 47.51 प्रतिशत यानी 1,76,567 मतदाता 40 वर्ष से कम आयु के हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि इस चुनाव में युवा मतदाताओं का वोट निर्णायक होगा। चुनावी गतिविधियों के दौरान, सभी प्रमुख सियासी दल इस युवा वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अलग-अलग रणनीतियां बना रहे हैं, क्योंकि इन्हीं मतदाताओं के वोट से चुनाव का रुख बदल सकता है।
मिल्कीपुर उपचुनाव में 18 से 29 वर्ष के मतदाताओं की संख्या 77,166 है, जो कुल मतदाताओं का 26.61 प्रतिशत बनती है। इसके बाद सबसे ज्यादा मतदाता 30 से 39 वर्ष के हैं, जिनकी संख्या 98,891 है। अगर इन दोनों वर्गों के मतदाताओं को एक साथ जोड़ा जाए, तो यह आंकड़ा 47.51 प्रतिशत तक पहुंचता है, जो चुनाव में किसी भी पार्टी के लिए जीत की कुंजी साबित हो सकता है।
युवा मतदाताओं के लिए प्रमुख मुद्दों में शिक्षा, रोजगार, कौशल विकास और कानून व्यवस्था प्रमुख हैं। युवा मतदाता चाहते हैं कि उन्हें अच्छे रोजगार के अवसर मिलें, विशेष रूप से ऐसे अवसर जो उनकी शिक्षा और कौशल के अनुसार हों। इसके अलावा, युवाओं के बीच कानून व्यवस्था और खासकर महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल का मुद्दा भी महत्वपूर्ण है। कई युवा इस बात को लेकर चिंतित हैं कि सरकार की ओर से किए गए वादों का सही तरीके से पालन नहीं होता, और खासकर सरकारी भर्तियों में कथित गड़बड़ियों को लेकर असंतोष है। सरकारी भर्तियों में देरी और प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को लेकर युवा वर्ग का गुस्सा बढ़ रहा है।
मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा और सपा दोनों दलों के उम्मीदवारों ने अपने-अपने घोषणापत्रों में रोजगार प्रदान करने का वादा किया है, जो युवा मतदाताओं को लुभाने की एक रणनीति है। दोनों पार्टियां यह समझती हैं कि युवा वर्ग के वोट के बिना चुनाव में जीत हासिल करना मुश्किल होगा।
इसलिए, मिल्कीपुर उपचुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि युवा मतदाता किस पार्टी को अपना समर्थन देते हैं, क्योंकि इन मतदाताओं के वोट से ही परिणाम तय होंगे।