गुरुवार सुबह जापान में एक गंभीर साइबर हमला हुआ, जिसका निशाना जापान की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी जापान एयरलाइंस बनी। इस हमले के चलते कंपनी को अपनी टिकटों की बिक्री अस्थायी रूप से रोकनी पड़ी। स्थानीय समयानुसार सुबह 7:24 बजे, साइबर अटैक के कारण कंपनी के आंतरिक और बाहरी सिस्टम प्रभावित हुए। जापान एयरलाइंस ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए समस्या पैदा करने वाले राउटर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया। इसके अलावा, गुरुवार को रवाना होने वाली उड़ानों के लिए टिकटों की बिक्री रोक दी गई। कंपनी ने चेतावनी दी है कि इस हमले के कारण घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में देरी हो सकती है। हालाँकि, जापान की प्रमुख एयरलाइन कंपनियों में से एक एएनए होल्डिंग्स ने बताया कि उनके सिस्टम सुरक्षित हैं और सभी सेवाएं सुचारू रूप से संचालित हो रही हैं। यह घटना अकेली नहीं है; इससे पहले भी एयरलाइन कंपनियों पर कई बार साइबर हमले हो चुके हैं, रैनसमवेयर ऑपरेटर ग्रुप डाइक्सिन टीम ने एयर एशिया के 50 लाख यात्रियों का डेटा चुराने का दावा किया था। कर्मचारियों के व्यक्तिगत रिकॉर्ड भी लीक किए गए थे।स्वीडन की इस एयरलाइन की वेबसाइट पर साइबर अटैक हुआ, जिससे सेवाएं प्रभावित हुईं। फरवरी 2021 में 45 लाख यात्रियों का डेटा चोरी किया गया। मई 2021 में कंपनी ने इस हमले की पुष्टि की थी। फरवरी में, भारतीय वायुसेना के इंटर्नल कंप्यूटर सिस्टम पर हमला करने की कोशिश की गई। हमले में गूगल की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज द्वारा बनाए गए ओपन-सोर्स मालवेयर का इस्तेमाल हुआ, लेकिन हैकर्स सफल नहीं हो पाए। यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि साइबर सुरक्षा आज के समय की सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। खासकर एयरलाइन और परिवहन जैसे उद्योग, जो लाखों लोगों की यात्रा से जुड़े हैं, अधिक संवेदनशील हैं। जापान एयरलाइंस पर हुआ यह हमला साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की सख्त जरूरत को उजागर करता है। सरकारों और कंपनियों को अपने साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल को और मजबूत करना होगा, ताकि भविष्य में ऐसे हमलों को रोका जा सके।