भारत सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वाकांक्षी चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दे दी है। इस मिशन के तहत, चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए 250 किलोग्राम वजनी रोवर भेजा जाएगा, जो चंद्रयान-3 के 25 किलोग्राम के ‘प्रज्ञान’ रोवर की तुलना में काफी बड़ा होगा।
चंद्रयान-5 मिशन जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA के सहयोग से किया जाएगा। इस संयुक्त मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों की विस्तृत जांच करना और वहां की सतह की विशेषताओं का अध्ययन करना है।
इसके अलावा, इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन के अनुसार, चंद्रयान-4 मिशन को वर्ष 2027 में लॉन्च करने की योजना है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्रित कर उन्हें पृथ्वी पर लाना है, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।
चंद्रयान-4 मिशन के तहत, दो अलग-अलग प्रक्षेपण किए जाएंगे, जिनमें अत्यधिक वजन ले जाने वाले प्रक्षेपण यान (एलवीएम) के माध्यम से मिशन के पांच उपकरणों को भेजा जाएगा। उन्हें अंतरिक्ष में एक-दूसरे से जोड़ा जाएगा।
इन आगामी मिशनों के साथ, इसरो चंद्रमा की सतह पर और अधिक गहन अध्ययन करने और अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में अग्रसर है।