भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकले जहरीले कचरे को धार जिले के पीथमपुर में निपटाने के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को स्थानीय लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने खतरनाक कचरे को वापस भेजने की मांग की। इस दौरान दो युवकों, राजकुमार रघुवंशी और राज पटेल, ने आत्मदाह का प्रयास किया। उन्हें समय रहते बचाकर अस्पताल पहुंचाया गया। यह विरोध प्रदर्शन दुनिया की सबसे भयावह औद्योगिक आपदा “भोपाल गैस त्रासदी” के चार दशक बाद शुरू हुआ। 1 जनवरी की रात को भोपाल से 12 कंटेनरों में भरकर यह जहरीला कचरा पीथमपुर लाया गया था, जिससे स्थानीय लोग नाराज हो गए। प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय प्रशासन पर उच्च अधिकारियों को गलत रिपोर्ट देने का आरोप लगाया। सामाजिक कार्यकर्ता संदीप रघुवंशी ने कहा कि राज्य सरकार से यह मांग की जा रही है कि जहरीले कचरे के कंटेनर तुरंत वापस भेजे जाएं। स्थानीय लोगों ने ‘बंद’ का आह्वान करते हुए विरोध जताने के लिए अपनी दुकानें बंद रखीं। दुकानदारों ने कहा कि वे पीथमपुर में इस जहरीले कचरे को नहीं जलाने देंगे और सरकार से इस कचरे को कहीं और ले जाने की मांग की। प्रदर्शन के दौरान स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि कचरे के निपटान से पर्यावरण पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने यह भी बताया कि 2015 में ट्रायल के तौर पर 10 मीट्रिक टन कचरे को पीथमपुर में जलाया गया था, जिसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रक्रिया से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता। इसके बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बाकी कचरे को भी जलाने की अनुमति दी थी। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि वे अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण को लेकर चिंतित हैं और इस कचरे को यहां न जलाने की मांग कर रहे हैं। उनका विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक कचरे के कंटेनरों को वापस नहीं भेजा जाता।