Home राजनिति वक्फ बिल पर राज्यसभा में अग्निपरीक्षा: NDA और विपक्ष के लिए हर...

वक्फ बिल पर राज्यसभा में अग्निपरीक्षा: NDA और विपक्ष के लिए हर वोट अहम

29
0
Agnipariksha in Rajya Sabha on Wakf Bill

केंद्र सरकार ने बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पास करा लिया। सरकार को एनडीए के सभी घटक दलों का जबरदस्त समर्थन मिला और विधेयक के पक्ष में 288 सांसदों ने वोट किया। वहीं, इसके विपक्ष में 232 वोट पड़े। इसके साथ ही विधेयक के राज्यसभा में जाने का रास्ता साफ हो गया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को इस बिल को राज्यसभा में भी पेश कर दिया। हालांकि, वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 की असल परीक्षा इसी सदन में मानी जा रही है। दरअसल, राज्यसभा में एनडीए का बहुमत जरूरी संख्या पर ही स्थिर है। ऐसे में गठबंधन के किसी भी दल के किसी भी सांसद का इधर-उधर होना विधेयक को पास कराने की राह में रोड़ा बन सकता है।  वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में एनडीए के बहुमत की वजह से पास हो गया। हालांकि, इसे चुनौती राज्यसभा में मिलने की संभावना है। राज्यसभा में कुल सांसद 245 हो सकते हैं। हालांकि, मौजूदा समय में सदन में 236 सांसद हैं। वहीं, 9 सीटें खाली हैं। राज्यसभा में कुल 12 सांसद नामित हो सकते हैं, लेकिन इनकी संख्या फिलहाल 6 है। इस लिहाज से राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को पास कराने के लिए 119 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी। राज्यसभा में भी आंकड़ों के लिहाज से एनडीए के पास पूर्ण बहुमत है। दरअसल, राज्यसभा में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है और उसके पास कुल 98 सांसद हैं। इसके अलावा लोकसभा की तरह ही जदयू, तेदेपा, राकांपा व अन्य दलों की तरफ से एनडीए को समर्थन मिला हुआ है। 

राज्यसभा में जो अन्य दल एनडीए के साथ हैं, उनमें उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) का एक सांसद, पत्तली मक्कल काची, तमिल मनिला कांग्रेस (टीएमसी-एम), नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) के एक-एक सांसद, रामदास आठवले की रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई-ए) का एक सांसद और दो निर्दलीय सांसद हैं। दूसरी तरफ राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक के विपक्ष में भी कई पार्टियां जुटी हैं। हालांकि, यह समर्थन विधेयक को रोकने के लिए नाकाफी साबित हो सकता है। राज्यसभा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है। विपक्ष से इसके राज्यसभा में सबसे ज्यादा 27 सांसद हैं। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप) और द्रमुक अगली बड़ी पार्टी हैं। जो अन्य दल वक्फ संशोधन विधेयक में विपक्ष के साथ हैं, उनमें नवीन पटनायक का बीजू जनता दल (बीजद) शामिल है, जिसके 7 सांसद हैं। इसके अलावा जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी, एआईएडीएमके भी विपक्ष के साथ हैं। एनडीए और विपक्ष में समर्थन के बीच कुछ दल ऐसे भी हैं, जिन्होंने अब तक विधेयक पर अपना रुख साफ नहीं किया है। इनमें तेलंगाना की पार्टी भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस)- 4 सीटें, बहुजन समाज पार्टी (बसपा)-  1 सीट और मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ)- 1 सीट शामिल हैं।

GNSU Admission Open 2025

दूसरी तरफ राज्यसभा में छह नामित सांसदों भी हैं, जो कि वोटिंग में हिस्सा लेंगे। सहयोगी जदयू-टीडीपी ने विधेयक के समर्थन के लिए कई शर्तें रखी थीं। जदयू की प्रमुख मांग थी कि सरकार अधिनियम के लागू होने से पहले मुसलमानों के धार्मिक पहचान से जुड़े स्थानों में छेड़छाड़ नहीं करेगी। मतलब अधिनियम लागू होने की पूर्व स्थिति बहाल रखेगी। टीडीपी ने वक्फ संपत्ति विवाद की जांच के लिए कलेक्टर से ऊपर राज्य सरकार द्वारा नियुक्त वरिष्ठ अधिकारी को अंतिम अधिकार देने, वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण के लिए समय देने, जमीन से जुड़े विवाद के निपटारे के लिए अंतिम फैसले का हक राज्य सरकार को देने की मांग की थी। इसे सरकार ने स्वीकार कर लिया। सहयोगी दलों की मांग को स्वीकार करने के साथ ही भाजपा ने सियासी संदेश देने के लिए अपनी ओर से भी विधेयक में कई परिवर्तन किए हैं। मसलन भाजपा युवा मोर्चा के प्रमुख तेजस्वी सूर्या के इस सुझाव को स्वीकार कर लिया है कि पांच वर्षों तक इस्लाम धर्म का पालन करने वाला ही वक्फ को अपनी संपत्ति दान कर सकेगा। दान की जाने वाली संपत्ति से जुड़ा कोई विवाद होने पर उसकी जांच के बाद ही अंतिम फैसला होगा। पुराने कानून की धारा 11 में संशोधन का स्वीकार कर लिया गया है, जिसमें कहा गया है कि वक्फ बोर्ड के पदेन सदस्य चाहे वह मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम, उसे गैर मुस्लिम सदस्यों की गिनती में शामिल नहीं किया जाएगा। इसका अर्थ यह कि वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है।


GNSU Admission Open 2025