संगम पर भगदड़ की घटना के बाद, जहां हजारों श्रद्धालुओं की जान जोखिम में आई, प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए कदम उठाए हैं। मौनी अमावस्या पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी थी, जिससे भगदड़ मच गई और कई लोगों की मौत हो गई। प्रशासन ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और तीनों प्रमुख शंकराचार्यों को एक साथ स्नान करने की योजना बनाई है। शंकराचार्य द्वारका पीठ के स्वामी सदानंद सरस्वती, ज्योतिषपीठ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और श्रृंगेरी मठ के स्वामी विधु शेखर भारती सुबह 11 बजे सेक्टर 22 से संगम के लिए रवाना होंगे। इस निर्णय का उद्देश्य शांति बनाए रखना और भगदड़ की स्थिति से बचना है।
साथ ही, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र गिरी ने पहले ही ऐलान किया था कि इस भगदड़ के बाद सभी अखाड़े अमृत स्नान नहीं करेंगे, ताकि स्थिति और बिगड़े नहीं। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं की भीड़ और भगदड़ के कारण अखाड़े ने यह कदम उठाया था, ताकि किसी अन्य दुर्घटना से बचा जा सके। अखाड़ा परिषद के इस निर्णय के बाद, महानिर्वाणी अखाड़ा और जूना अखाड़ा ने अपना जुलूस रास्ते से वापस ले लिया और छावनी लौट आए।

हादसे के बाद, पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी भी भावुक हो गए और प्रशासन की नाकामी पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि पहले ही कुंभ की सुरक्षा को सेना के हवाले करने की सलाह दी थी, लेकिन प्रशासन ने उनकी बातों को नजरअंदाज किया। उनका आरोप था कि प्रशासन केवल वीआईपी सुरक्षा में ही व्यस्त था और आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी गई, जिसके कारण यह घटना घटी। उन्होंने कहा कि यह हादसा श्रद्धालुओं के लिए एक दुखद घटना बन गई, जिसमें कई लोगों की जान चली गई।
अखाड़ों के जुलूस की वापसी और संतों का आक्रोश इस बात को दर्शाता है कि प्रशासन की ओर से की गई चूकों का खामियाजा श्रद्धालुओं को भुगतना पड़ा। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की कोई त्रासदी न हो।